राष्ट्रपति कोविंद और प्रधानमंत्री मोदी ने लवलीना बोरगोहेन को उनके प्रदर्शन के लिए बधाई देते हुए कहा……

05 Aug, 2021
Share on :

मुक्केबाज लवलीना बोरगोहेन ने आज सेमीफाइनल में तुर्की की विश्व चैंपियन बुसेनाज सुरमेनेली से हारने के बाद 69 किलोग्राम वर्ग में कांस्य पदक जीता। यह टोक्यो ओलंपिक में देश का तीसरा पदक है। इससे पहले पी वी सिंधु ने बैडमिंटन में कांस्य पदक जीता था जबकि मीरा बाई चानू ने भारोत्तोलन में रजत पदक जीता था। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, खेल मंत्री अनुराग ठाकुर और देश के कोने-कोने से लोगों ने लवलीना बोरगोहेन को उनकी उपलब्धि के लिए बधाई दी।राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने टोक्यो ओलंपिक में कांस्य पदक जीतने पर लवलीना बोरगोहेन को बधाई दी। कोविंद ने ट्वीट कर कहा कि, “लवलीना बोरगोहेन को बधाई! आपने अपनी कड़ी मेहनत और दृढ़ निश्चय से देश को गौरवान्वित किया है। ओलंपिक खेलों में मुक्केबाजी में आपका कांस्य पदक युवाओं, विशेषकर युवा महिलाओं को चुनौतियों से लड़ने और अपने सपनों को हकीकत में बदलने के लिए प्रेरित करेगा।“प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी टोक्यो ओलंपिक में कांस्य पदक जीतने पर मुक्केबाज लवलीना को बधाई दी। नरेन्द्र मोदी ने ट्वीट कर कहा कि, “लवलीना बोरगोहेन ने अच्छे खेल का प्रदर्शन किया! बॉक्सिंग रिंग में उनकी सफलता कई भारतीयों को प्रेरित करती है। उनका तप और दृढ़ संकल्प सराहनीय है। उन्हें कांस्य जीतने पर बधाई। उनके भविष्य के प्रयासों के लिए शुभकामनाएं।”युवा मामले और खेल मंत्री अनुराग ठाकुर ने भी मुक्केबाज लवलीना बोरगोहेन को टोक्यो ओलंपिक में कांस्य पदक जीतने पर बधाई दी। श्री ठाकुर ने ट्वीट कर कहा कि, “लवलीना ने अपना सर्वश्रेष्ठ पंच दिया और उन्होंने जो हासिल किया, भारत को उस पर बहुत गर्व है। उन्होंने अपने पहले ओलंपिक में ही कांस्य पदक हासिल किया है और सफर अभी शुरू ही हुआ है।”लवलीना का जन्म दो अक्टूबर 1997 को हुआ था और वह असम के गोलाघाट जिले की रहने वाली हैं। उनके पिता टिकेन एक छोटे स्तर के व्यवसायी हैं और अपनी बेटी की महत्वाकांक्षा का समर्थन करने के लिए उन्हें वित्तीय संघर्ष करना पड़ा। अपनी जुड़वां बहनों लीचा और लीमा के पदचिन्हों पर चलते हुए, असमिया ने सबसे पहले किकबॉक्सिंग की। जब वह अपने पहले कोच पदुम बोरो से मिलीं, तब उनके जीवन ने एक अहम मोड़ लिया। भारतीय खेल प्राधिकरण के शिलॉन्ग और दीमापुर केंद्रों में काम करने वाले बोरो ने उनका मुक्केबाजी से परिचय कराया और तब से लवलीना ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। मुक्केबाजी में लगाव के बाद, लवलीना हमेशा एक अवसर की तलाश में रहती थी और यह कुछ ही महीनों में आ गया। भारतीय खेल प्राधिकरण (साई) बारपत्थर गर्ल्स हाई स्कूल में परीक्षण कर रहा था जहाँ लवलीना पढ़ाई कर रही थीं और उन्होंने ट्रायल्स में भाग लेते हुए अपना कौशल दिखाया। इस तरह बोरो ने देखा कि उनकी इस असाधारण प्रतिभा ने 2012 से अपना कौशल दिखाना शुरू कर दिया था। लवलीना ने शिखर तक पहुंचने की अपनी यात्रा में उस समाज से लड़ाई लड़ी, जो एक महिला होने के चलते मुक्केबाजी में उनकी रुचि पर सवाल उठाता था। लेकिन इसने लवलीना की आकांक्षाओं को बिखरने नहीं दिया, जिससे उन्हें पहली बड़ी सफलता 2018 में विश्व चैम्पियनशिप में कांस्य पदक के जीतने के साथ मिली। टोक्यो ओलंपिक 2020 के लिए क्वालीफाई करने के बाद, वह असम के इतिहास में, ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करने वाली पहली महिला बनीं।

News
More stories
YouTube का बड़ा ऐलान अब क्रिएटर्स को हर महीने 7.41 लाख रुपये तक कमाने का मौका,जानें कैसे होगी कमाई