बीजिंग, 6 नवंबर (आईएएनएस)। दुनिया पहले जैसी शायद अब रही नहीं! टेक्नोलॉजी ने न सिर्फ आम लोगों की जिंदगी बदली है, बल्कि जीवन को सुगम बनाने के अलावा कई अन्य क्षेत्रों में भी तकनीक का भरपूर इस्तेमाल होता है, जिसका लाभ जन-जन तक पहुंच रहा है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी एआई भी एक ऐसी ही तकनीक है जिसका इस्तेमाल हमारे जीवन में महत्वपूर्ण होता जा रहा है।
दरअसल, एआई एक टेक्नोलॉजी है, जिसे आर्टिफिशयल इंटेलिजेंस कहते हैं, यह मानव के दिमाग की तरह काम करती है। इसे सॉफ्टवेयर की मदद से बनाया जाता है। एआई की महता को देखते हुए पिछले दिनों यूनाइटेड किंगडम में एक बैठक में आर्टिफिशियल इंटेलिजन्स से जुड़े जोखिमों का आकलन करने के लिए और मिलकर काम करने का वचन देते हुए एक घोषणा पर हस्ताक्षर किए। इस बैठक में चीन और भारत समेत प्रतिनिधित्व करने वाले देश भी शामिल थे।
बैठक में भारत के केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने अपने संबोधन में कहा कि भारत एआई को खुलेपन, सुरक्षा, विश्वास और जवाबदेही के चश्मे से देखता है। अगर हम चीन की बात करें, तो टेक्नोलॉजी के मामले में चीन काफी आगे है, यह सभी जानते हैं। फेसियल रिकॉग्निशन जैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस चीन के लोगों की जिंदगी का एक हिस्सा बन चुके हैं। खरीददारी करते समय फेसियल रिकॉग्निशन से भुगतान किया जा सकता है, यात्रा करते समय इससे ट्रेन में सवार हो सकते हैं, मोबाइल फोन का लॉक खोल सकते हैं।
आजकल यह व्यापक रूप से प्रयोग किया जा रहा है। कोविड-19 महामारी की रोकथाम के लिए फेसियल रिकॉग्निशन से शारीरिक तापमान लेने का उपकरण व्यापक रूप से इस्तेमाल किया गया, जिससे तापमान लेने की कार्यक्षमता काफी हद तक उन्नत हुई। इसके अलावा इस पर आधारित आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से जुड़े व्यवसाय का तेज विकास हो रहा है, जो नवाचार का नया क्षेत्र बन गया है।
चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने कहा कि नयी पीढ़ी का आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पूरी दुनिया में उभर रहा है, जिससे आर्थिक और सामाजिक विकास में नई उम्मीद जगी है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस हमारे उत्पादन और जीवन की शैली बदलता है।
आंकड़ों के अनुसार अब चीन में फेसियल रिकॉग्निशन से संबंधित उद्यमों की संख्या 10 हजार से अधिक है। अनुमान है कि वर्ष 2024 तक इसका बाजार 10 अरब युआन (करीब 100 अरब रुपए) से अधिक होगा। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की दुनिया में यह एक क्रांति के रूप में देखा जायेगा। वहीं दूसरी तरफ़ अगर हम भारत की बात करें तो भारत में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आईटी क्षेत्र में एक वैश्विक शक्ति बनकर उभरी है।
नैसकॉम की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 2022 के अंत तक 500 से अधिक एआई स्टार्टअप का घर था, जो पिछले वर्ष की तुलना में 33% की आश्चर्यजनक वृद्धि है। जैसे-जैसे भारत तकनीकी महानता के लिए प्रयास करता रहता है, एआई की अद्भुत क्षमता देश और उसके लोगों के लिए बेहतर और समृद्ध भविष्य बनाने की कुंजी रखती है। एक अध्ययन के अनुसार, एआई 2035 तक 957 बिलियन अमेरिकी डॉलर या भारत की जीडीपी का 15% तक जोड़ सकता है। भारत में विशाल जनसंख्या और डेटा की प्रचुरता एआई के विकास और अनुप्रयोग के लिए उपजाऊ जमीन प्रदान करेगी। इसके कारण, भारत सरकार ने भी एआई क्षमताओं और कौशल के निर्माण में भारी निवेश करना शुरू कर दिया है।
आने वाले वर्षों में, एआई एक महत्वपूर्ण तत्व बन जाएगा जो भारत की वृद्धि और विकास में अत्यधिक योगदान देगा। भारत में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का भविष्य उज्ज्वल और आशापूर्ण लगता है। उचित रणनीतियों और नीति समर्थन के साथ, भारत खुद को वैश्विक मंच पर एआई में अग्रणी के रूप में स्थापित कर सकता है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से जुड़े कुछ मिथक भी हैं जिसका समाधान करना भी आवश्यक है, परंतु यह कहना ग़लत नहीं होगा कि एआई तकनीक ने दुनिया को एक नई उम्मीद दी है जिससे मानव कल्याण में बहुत मदद मिलेंगे और मानव सभ्यता आगे बढ़ेगी।
(रिपोर्टर- देवेंद्र सिंह)
–आईएएनएस