दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सुस्त अर्थव्यवस्था और रुपये की कीमत में गिरावट को रोकने के लिए भारतीय नोट पर लक्ष्मी-गणेश की तस्वीर लगाने का सुझाव दिया है। उन्होंने इंडोनेशिया के नोट पर गणेश भगवान की तस्वीर होने का ज़िक्र किया।
नई दिल्ली: इंडोनेशिया के इसी नोट का जिक्र अरविंद केजरीवाल ने अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में किया है। इंडोनेशिया की सरकार ने इस नोट को 1998 में जारी किया था। लम्बे वक्त तक चलन में रहने के बाद अब ये नोट नहीं चलते हैं।
इंडोनेशियाई नोट पर क्यों लगी गणेशजी की तस्वीर ? ये है मुख्य वजह
इस नोट को बारीकी से देखने पर पता चलता है कि नोट पर गणेशजी और एक शख़्स की तस्वीर लगी है। साथ ही कुछ कुछ बच्चों को पढ़ाई करते हुए दिखाया गया है।
इस नोट पर गणेशजी की तस्वीर इंडोनेशिया की सांस्कृतिक विरासत को दर्शाती है। इंडोनेशिया में गणपति को शिक्षा, कला और बुद्धिमता का ईश्वर माना जाता है। ऐस में स्कूलों-कॉलेज में गणपति की तस्वीरें लगाई जाती हैं। भारत में सरस्वती देवी को शिक्षा और कला की देवी माना जाता है।
क्या संदेश देती है नोट पर लगी गणेशजी की तस्वीर ?
इंडोनेशिया में गणेशजी की तस्वीर धर्म के बजाय समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को अहमियत देते हुए लगाई गई है। इंडोनेशिया में हिंदू मात्र 2 फीसदी हैं लेकिन हिंदू धर्म के मानने वाले लोग इंडोनेशिया में सभी जगह पाए जाते है। इंडोनेशिया में इस मामले को अल्पसंख्यक या बहुसंख्यक की नज़र से नहीं देखा जाता है।
थाईलैंड में भी जारी हुआ था ब्रह्मा-विष्णु-महेश की तस्वीर वाला सिक्का
थाईलैंड में राष्ट्रीय आर्थिक-सामाजिक विकास बोर्ड ने 60वें फाउंडेशन डे पर एक सिक्का जारी किया था। इस सिक्के में ब्रह्मा-विष्णु-महेश की तस्वीर थी। सिक्के पर त्रिमूर्ति की तस्वीर साफ देखी जा सकती है।
अमेरिका में भी जारी हुई राजा राम मुद्रा
अमेरिका में वर्ष 2001 में महर्षि महेश योगी से संबंधित एक एनजीओ ‘द ग्लोबल कंट्री ऑफ वर्ल्ड पीस’ ने अपने स्तर पर राजा राम मुद्रा लॉन्च की। इसे आश्रम के अंदर लेन-देन के लिए इस्तेमाल किया जाता था। 1 राम मुद्रा का मूल्य करीब 10 डॉलर तय किया गया था जबकि यूरोप में 1 राम मुद्रा का मूल्य 10 यूरो तय हुआ।
नीदरलैंड में भी चलती थी राम मुद्रा
वर्ष 2003 में नीदरलैंड की करीब 100 दुकानों, 30 गांवों और पास के कस्बों में भी राम मुद्रा का चलन चला लेकिन नीदरलैंड की सरकार ने इसे स्वीकार नहीं किया। ये एक लोकल करेंसी की तरह कुछ जगहों पर चली। अमेरिका और नीदरलैंड के बैंकों ने इसे मान्यता नहीं दी।
Edited By Deshhit News