दिल्ली हाईकोर्ट ने विपक्षी गठबंधन के लिए ‘इंडिया’ शब्‍द के इस्तेमाल पर ऐतराज का जवाब देने के लिए केंद्र को समय दिया

31 Oct, 2023
Deepa Rawat
Share on :

नई दिल्ली, 31 अक्टूबर (आईएएनएस)। दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को केंद्र सरकार को उस जनहित याचिका पर जवाब देने के लिए और समय दे दिया, जिसमें विपक्षी दलों को उनके गुट के लिए संक्षिप्त नाम इंडिया (इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इंक्लूसिव अलायंस) का इस्तेमाल करने से रोकने का निर्देश देने की मांग की गई है।

चुनाव आयोग (ईसी) ने जवाबी हलफनामे में कहा है कि वह जन प्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत राजनीतिक गठबंधनों को विनियमित नहीं कर सकता, क्‍योंकि इसमें हस्‍तक्षेप करने का उसके पास अधिकार नहीं है।

अदालत ने कहा कि केवल चुनाव आयोग ने जवाब दाखिल किया है और कार्यवाही में नामित कुछ राजनीतिक दलों को अभी तक नोटिस नहीं दिया गया है। इसने राजनीतिक दलों को अपना रुख बताने का समय भी दिया।

याचिकाकर्ता, व्यवसायी गिरीश भारद्वाज के वकील ने कहा कि मामले के तत्काल निपटारेे की जरूरत है, क्योंकि विपक्षी पार्टियां “देश का नाम” और राष्ट्रीय ध्वज का उपयोग कर रही हैं।

रिट याचिका में तर्क दिया गया है कि चुनाव आयोग ने प्रतिवादी राजनीतिक दलों को संक्षिप्त नाम “इंडिया” का उपयोग करने से रोकने के लिए उनके द्वारा दिए गए अभ्यावेदन पर कोई कार्रवाई नहीं की है। चिंता इस बात की है कि विपक्षी गठबंधन इस संक्षिप्त नाम का उपयोग 2024 के आम चुनाव में अनुचित लाभ लेने के लिए करेेेगा।

चुनाव आयोग ने अपने जवाब में केरल उच्च न्यायालय के एक फैसले का हवाला दिया कि राजनीतिक गठबंधनों के कामकाज को विनियमित करने के लिए संवैधानिक निकाय को अनिवार्य करने वाला कोई वैधानिक प्रावधान नहीं है, लेकिन कहा कि उसके जवाब को वैधता पर उसकी राय की अभिव्यक्ति के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए।

हाईकोर्ट ने अगस्त में भारद्वाज की जनहित याचिका पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया था।

मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा की अध्यक्षता वाली न्यायमूर्ति अमित महाजन की खंडपीठ ने केंद्र सरकार, चुनाव आयोग और 26 राजनीतिक दलों से जवाब मांगा था। कोर्ट ने टिप्पणी की थी कि इस मामले की सुनवाई होनी है।

इसमें कहा गया था, ”इसके लिए सुनवाई की आवश्यकता है।”

प्रतीक और नाम (अनुचित उपयोग की रोकथाम) अधिनियम, 1950 और संबंधित नियमों के कथित उल्लंघन का हवाला देते हुए भारद्वाज ने कहा है कि राष्ट्रीय प्रतीक का अनिवार्य हिस्सा होने के कारण इसका उपयोग किसी भी पेशेवर, व्यावसायिक उद्देश्य और राजनीतिक उद्देश्य के लिए नहीं किया जा सकता।

याचिका में कहा गया, “…इन राजनीतिक दलों का स्वार्थी कृत्य आगामी 2024 के आम चुनाव के दौरान शांतिपूर्ण, पारदर्शी और निष्पक्ष मतदान पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है, जिससे नागरिक अनुचित हिंसा का शिकार हो सकते हैं और देश की कानून व्यवस्था भी प्रभावित हो सकती है।”

–आईएएनएस

एसजीके

News
More stories
आरआरटीएस कॉरिडोर के दिल्ली सेक्शन में एक के बाद एक स्थापित किए गए 6 स्पेशल स्टील स्पैन