स्वतंत्र भारत के प्रथम परमवीर चक्र विजेता शहीद कैप्टन गुरबचन सिंह सलारिया का 63वां बलिदान दिवस 21 सब एरिया द्वारा पराक्रम स्थल के पास बने ध्रुव पार्क में शहीद के नाम पर बने पराक्रम स्थल स्मारक पर आयोजित किया गया। जिसमें सब एरिया कमांडर ब्रिगेडियर ईशान दलाल सेना मेडल बतौर मुख्यातिथि शामिल हुए।
इनके अलावा शहीद के भतीजे ठाकुर महेश्वर सिंह सलारिया, पौत्र त्रिनभ सलारिया, शहीद सैनिक परिवार सुरक्षा परिषद के अध्यक्ष व शहीद लेफ्टिनेंट गुरदीप सलारिया शौर्य चक्र के पिता कर्नल सागर सिंह सलारिया, महासचिव कुंवर रविंद्र सिंह विक्की, शहीद मेजर विवेक भंदराल सेना मेडल के पिता कर्नल पी.एस भंदराल, शहीद लांसनायक डिप्टी सिंह सेना मेडल के भतीजे वरिंदर सिंह, शहीद सिपाही मक्खन सिंह के पिता हंस राज आदि ने विशेष मेहमान के तौर पर शामिल होकर इस वीर योद्धा को अपने श्रद्धासुमन अर्पित किए। सर्वप्रथम सब एरिया कमांडर ब्रिगेडियर ईशान दलाल सेना मेडल ने शहीद कैप्टन गुरबचन सिंह सलारिया परमवीर चक्र की प्रतिमा समक्ष रीथ चढ़ा कर उन्हें सैल्यूट किया इनके अलावा बलिदानी के भतीजे ठाकुर महेश्वर सिंह सलारिया, परिषद के सदस्यों, शहीद परिवारों, सैन्य अधिकारियों व जवानों ने भी इस अमर योद्धा की प्रतिमा के समक्ष पुष्पांजलि अर्पित कर उनके बलिदान को नमन किया तथा सेना के जवानों ने शस्त्र उल्टे कर बिगुल की गौरवशाली धुन के साथ शहीद कैप्टन गुरबचन सिंह सलरिया को सलामी दी।
श्रद्धांजलि समारोह को संबोधित करते हुए सब एरिया कमांडर ब्रिगेडियर ईशान दलाल सेना मेडल ने कहा कि शहीद कैप्टन गुरबचन सिंह सलारिया जैसे जांबाज देश की अमूल्य धरोहर तथा देश व भारतीय सेना के गौरव हैं, इनके बलिदान से देश की भावी पीढ़ी तथा सेना के जवान हमेशा प्रेरणा लेते रहेंगे। उन्होंने कहा कि राष्ट्र की बलिवेदी पर प्राणों न्योछावर करने वाले वीर सैनिकों व उनके परिजनों का मान-सम्मान बहाल रखना ही बलिदानी सैनिकों को सच्ची श्रद्धांजलि है। सब एरिया कमांडर ने कहा यह उनके लिए गौरव की बात है कि उन्हें कैप्टन गुरबचन सिंह सलरिया के परिवार की तीसरी व चौथी पीढ़ी से मिलने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है उन्होंने कहा कि शहीद परिवार खुद को अकेला न समझें भारतीय सेना हमेशा उनके साथ खड़ी है।
देश की बहुमूल्य विरासत है कैप्टन सलारिया की शहादत: कर्नल सलरिया
कर्नल सागर सिंह सलरिया ने कहा कि कैप्टन गुरबचन सिंह सलरिया की शहादत देश की बहुमूल्य विरासत है तथा उनके बलिदान के 63 वर्षों बाद भी भारतीय सेना ने उन्हें अपनी यादों में जिंदा रखा है, आज आप सेना की किसी भी यूनिट में चले जाओ वहां आपको कैप्टन गुरबचन सलारिया की प्रतिमा नजर आएगी तथा इस ध्रुव पार्क में लगी इस अमर वीर की प्रतिमा भी उनकी शहीद सैनिक परिवार सुरक्षा परिषद ने लंबे संघर्ष के बाद लगवाई है तथा आज सेना ने इस पार्क की कायाकल्प करते हुए हुए इसे पराक्रम स्थल का नाम दिया है जहां सुबह शाम लोग इस वीर को नमन करते हुए सैर करते हैं और 21 सब एरिया द्वारा इस पार्क की अच्छे से देखभाल की जा रही है।
सेना ही सही मायनों में करती है अपने शहीदों का सम्मान: कुंवर विक्की
परिषद के महासचिव कुंवर रविंद्र सिंह विक्की ने कहा कि शौर्य, त्याग व बलिदान का दूसरा नाम है शहीद कैप्टन गुरबचन सलारिया जिन्होंने 31 वर्ष की अल्पायु में अपना बलिदान देकर देशवासियों को यह संदेश दिया जिंदगी लंबी नहीं बड़ी होनी चाहिए। उन्होंने कहा वतन पर कुर्बान होना हर किसी की किस्मत में नहीं होता और वो सैनिक धन्य है जो वीरगति को दुल्हन के रूप में गले लगाता है। कुंवर विक्की ने कहा कि हमारी सेना ही सही मायनों में अपने बलिदानी वीरों व उनके परिजनों का दिल से सम्मान करती है। उन्होंने कहा दक्षिणी अफ्रीका के कांगों शहर में 40 विद्रोहियों को मारकर कैप्टन गुरबचन सलारिया ने विदेशी धरती पर तिरंगा फहरा कर वीरता का इतिहास रचते हुए वीरगति को प्राप्त कर मरणोपरांत राष्ट्रपति से परमवीर चक्र प्राप्त कर जिस अदम्य साहस व शौर्य का परिचय दिया उसके समक्ष आज भी सारा देश नतमस्तक है। इस अवसर पर परिषद की तरफ से इस कार्यक्रम के सफल व गरिमापूर्ण आयोजन के लिए 21 सब एरिया कमांडर तथा उनकी टीम का आभार व्यक्त किया तथा शहीद कैप्टन गुरबचन सिंह सलारिया के भतीजे ठाकुर महेश्वर सलारिया व पौत्र त्रिनभ सलारिया को स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया।
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