सृष्टि, को इससे पहले मुंबई एकेडमी ऑफ मूविंग इमेज (मामी) फिल्म महोत्सव के इंडिया गोल्ड श्रेणी में जगह बना चुकी है। गढ़वाली और हिंदी भाषा में बनी इस फिल्म में घोस्ट विलेज (पलायन से खाली हो चुके गांव) की कहानी है। साथ ही सृष्टि ने इस फिल्म का प्रोडक्शन और निर्देशन किया है। सृष्टि लखेड़ा (Srishti Lakhera) ने क्रिएटिविटी से किया कमाल यह एक गर्व की बात है I
आइए जानते है सृष्टि लखेड़ा के बारे में
राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों में उत्तराखंड की सृष्टि लखेड़ा (Srishti Lakhera) की फिल्म एक था गांव (Ek Tha Gaon) को बेस्ट नॉन फीचर फिल्म की कैटेगिरी में अवॉर्ड मिला है यह फिल्म पहाड़ों में हो रहे पलायन और पहाड़ों में रहनेवाले लोगो के दर्द को बयां करता है, उत्तराखंड के टिहरी जिले के कीर्तिनगर ब्लॉक के सेमला गांव निवासी है सृष्टि लखेड़ा वहीं सृष्टि का परिवार ऋषिकेश में रहता है। सृष्टि के पिता बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. केएन लखेरा ने बताया, सृष्टि करीब 13 साल से फिल्म लाइन के क्षेत्र में कार्य कर रही हैं। साथ ही सृष्टि का परिवार और गांव के लोगों में खुशी का माहोल बना हुआ है I
एक था गांव फिल्म के बारे में क्या कहा सृष्टि ने
उत्तराखंड में पलायन और बेरोजगारी को देखतें हुहे सृष्टि ने बताया, पहले उनके गांव में 40 परिवार रहते थे और अब पांच से सात लोग ही बचे हैं। लोगों को किसी न किसी मजबूरी से गांव छोड़कर जाना पड़ा। इसी उलझन को उन्होंने एक घंटे की फिल्म के रूप में पेश किया है। फिल्म के दो मुख्य पात्र हैं। फिल्म एक बुजूर्ग और एक किशोर पर आधारित है जो गांव में अकेली ही रहती है अंत में लीला देहरादून चली जाती है 80 वर्षीय लीला देवी और 19 वर्षीय किशोरी गोलू। कहा, बेटी ने परिवार के साथ उत्तराखंड का नाम रोशन किया है।