‘‘कांग्रेस के नवनिर्वाचित अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को निर्वाचन प्रमाणपत्र सौंपने का कार्यक्रम 26 अक्टूबर को सुबह 10.30 बजे पार्टी मुख्यालय में आयोजित होगा।’’
नई दिल्ली: काग्रेंस अध्यक्ष पद के लिए 17 अक्टूबर को वोटिंग हुई थी। जबकि चुनाव परिणाम 19 अक्टूबर को घोषित किए गए थे। गौरतलब है कि काग्रेंस अध्यक्ष पद के लिए मल्लिकार्जुन खड़गे और शशि थरुर आमने – सामने थे। 17 अक्टूबर को हुए चुनाव में खड़गे ने 7,897 वोट हासिल कर शशि थरूर को हराया था। थरूर को 1,072 वोट मिले थे। इसी के साथ 24 साल बाद पार्टी अध्यक्ष का पद गांधी परिवार से बाहर यानि खड़गे के हाथ में चला गया। आपको बता दें, मल्लिकार्जुन खड़गे 26 अक्टूबर को कांग्रेस के नए अध्यक्ष की कमान संभालेंगे।
26 अक्टूबर को खड़गे संभालगे काग्रेंस की कमान
कांग्रेस के नवनिर्वाचित अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को आगामी 26 अक्टूबर को पार्टी मुख्यालय में आधिकारिक रूप से निर्वाचन प्रमाणत्र सौंपा जाएगा और उसी दिन वह पदभार संभालेंगे। पार्टी के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने ट्वीट कर बताया, ‘‘कांग्रेस के नवनिर्वाचित अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को निर्वाचन प्रमाणपत्र सौंपने का कार्यक्रम 26 अक्टूबर को सुबह 10.30 बजे पार्टी मुख्यालय में आयोजित होगा।’’
राजनीतिक संदेश देने के लिए आयोजित किया गया कार्यक्रम
राजनीतिक संदेश देने के साथ इस मौके को यादगार बनाने के लिए पार्टी ने एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया है। इसमें कांग्रेस कार्यसमिति के सदस्यों, पार्टी शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों, विधायक दल के नेताओं से लेकर सभी प्रदेश कांग्रेस अध्यक्षों को आमंत्रित किया गया है। इस समारोह में ही खड़गे को कांग्रेस अध्यक्ष चुने जाने का प्रमाणपत्र सौंपा जाएगा और इसके साथ ही उनका कार्यकाल शुरू हो जाएगा।
दिग्गजों को भेजा गया आमंत्रण
कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने पार्टी के तमाम नेताओं को 26 अक्टूबर को सुबह 10:30 बजे कांग्रेस मुख्यालय 24 अकबर रोड पर होने वाले इस समारोह में आने का आमंत्रण भेजा है। इसमें पार्टी के पदाधिकारियों और अग्रिम संगठनों के प्रमुखों के अलावा सांसदों, राज्यों के मंत्रियों से लेकर प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्षों को भी न्योता दिया गया है।
पांच साल का होगा कार्यकाल
इस समारोह के दौरान कांग्रेस चुनाव प्राधिकरण के प्रमुख मधुसूदन मिस्त्री मल्लिकार्जुन खड़गे को अध्यक्ष चुनाव में जीत का प्रमाण पत्र सौंपेंगे। इसके बाद पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी औपचारिक रूप से कांग्रेस के शीर्षस्थ नेतृत्व की कमान खड़गे को सौंप देंगी। खड़गे का कार्यकाल पांच साल का होगा।
24 साल बाद गांधी परिवार के बाहर नेता बनेगा पार्टी का अध्यक्ष
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे बुधवार को पार्टी के अध्यक्ष निर्वाचित हुए। उन्हें ऐसे समय पर पार्टी की कमान मिली है जब कांग्रेस 137 साल के अपने इतिहास में अब तक के सबसे मुश्किल और चुनौतीपूर्ण दौर का सामना कर रही है। करीब 24 साल बाद गांधी परिवार के बाहर का कोई नेता देश की सबसे पुरानी पार्टी का अध्यक्ष बना है। खड़गे सोनिया गांधी का स्थान ग्रहण करने जा रहे हैं। जिन्होंने करीब दो दशक तक कांग्रेस का नेतृत्व किया।
कौन-कौन बना कांग्रेस अध्यक्ष?
1939 में पहली बार चुनाव
कांग्रेस का पहला चुनाव साल 1939 में हुआ था। तब अध्यक्ष पद के चुनाव में महात्मा गांधी के उम्मीदवार पी. सीतारमैया और नेताजी सुभाष चंद्र बोस के बीच मुकाबला था। हालांकि सीतारमैया इस चुनाव में नेताजी से हार गए थे। जीत के बाद बोस के संबंध गांधी और उनके समर्थकों से कड़वाहट भरे होने लगे थे। जिसके बाद उन्हें इस्तीफा देना पड़ा था।
1950 में दूसरा चुनाव
इसके बाद अध्यक्ष पद के लिए दूसरी बार साल 1950 में चुनाव हुआ था। आजादी के बाद ऐसा पहली बार था, जब कांग्रेस में अध्यक्ष पद का चुनाव हुआ था। उस समय पुरुषोत्तम दास टंडन तथा आचार्य कृपलानी के बीच मुकाबला हुआ था। आश्चर्यजनक रूप से सरदार वल्लभभाई पटेल के नजदीकी माने जाने वाले टंडन, प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की पसंद के उम्मीदवार से चुनाव जीत गए थे।
1977 में तीसरा चुनाव
कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए तीसरी बार 1977 में चुनाव हुआ था। ये चुनाव देवकांत बारुआ के इस्तीफे की वजह से हुआ था, जिसमें के. ब्रह्मानंद रेड्डी ने सिद्धार्थ शंकर रे और कर्ण सिंह को शिकस्त दी थी। ब्रह्मानंद रेड्डी 1977 से 1978 तक कांग्रेस अध्यक्ष रहे।
1997 में चौथा चुनाव
इसके बाद पार्टी अध्यक्ष पद का अगला चुनाव 20 साल बाद यानी साल 1997 में हुआ था। तब सीताराम केसरी, शरद पवार और राजेश पायलट के बीच त्रिकोणीय मुकाबला हुआ था। महाराष्ट्र तथा उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों को छोड़कर कांग्रेस की सभी प्रदेश इकाइयों ने केसरी का समर्थन किया था। उन्होंने भारी मतों से जीत हासिल की थी।
2000 में हुआ था पांचवां चुनाव
इसके बाद अध्यक्ष पद का अगला चुनाव 2000 में हुआ था और इस बार सोनिया गांधी के सामने जितेंद्र प्रसाद थे। प्रसाद को सोनिया गांधी के हाथों करारी शिकस्त मिली थी।
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