दृष्टि आईएस कोचिंग गुरु डॉ विकास दिव्यकीर्ति बीते दिन एक विवादित वीडियो क्लिप को लेकर देश भर में चर्चाओं में रहे जिसके बाद उस मुद्दे पर घमासान छिड़ता हुआ दिखाई दे रहा है। सोशल मीडिया पर एक ओर से लोग उन्हें हिंदू विरोधी बताकर भगवान श्रीराम और देवी सीता के अपमान का आरोप लगा रहे हैं, वहीं, दूसरी ओर कुछ लोग उनका समर्थन भी कर रहे हैं।आगे खबर में पढ़िए आखिर मामला क्या है
नई दिल्ली: देश-भर में कोचिंग गुरु और दृष्टी आईएस के फाउंडर डॉ विकास दिव्यकीर्ति पिछले 2 दिन से एक विडियो के लिए विवाद के घेरे में बंधे हुए है. डॉ विकास दिव्यकीर्ति के विवादित वीडियो क्लिप को लेकर घमासान छिड़ा हुआ है। सोशल मीडिया पर एक ओर से लोग उन्हें हिंदू विरोधी बताकर भगवान श्रीराम और देवी सीता के अपमान का आरोप लगा रहे हैं, वहीं, दूसरी ओर कुछ लोग उनका समर्थन भी कर रहे हैं।
विवादित वीडियो क्लिप में दिव्यकीर्ति रामायण की चौपाइयों का संदर्भ देते हुए श्रीराम के हवाले से सीताजी को लेकर कथित तौर पर अपमानजनक टिप्पणी कर रहे हैं। इसके अलावा एक और वीडियो क्लिप में शम्बूक वध का हवाला देते हुए कथित तौर पर श्रीराम पर जातिगत भेदभाव और दलित विरोधी होने का आरोप लगाने की चेष्टा की गई है। आइए जानते हैं क्या है पूरा विवाद और क्या है डॉ विकास दिव्यकीर्ति की सफाई?
सोशल मीडिया से लेकर सड़कों तक पर हुआ विरोध
डॉ विकास दिव्यकीर्ति कोचिंग में पढ़ाने के दौरान देवी सीता के संबंध में विवादित टिप्पणी करने का सोशल मीडिया पर 45 सेकंड का वीडियो सामने आने के बाद सवालों के घेरे में है। दिव्यकीर्ति के वीडियो को लेकर हिंदू समाज में रोष व्याप्त है। इसे लेकर लोग सोशल मीडिया से लेकर सड़कों तक पर विरोध जता रहे हैं। साथ ही दृष्टि आईएएस कोचिंग को बंद करने और उन्हें ईशनिंदा के आरोप में गिरफ्तार करने की मांग कर रहे हैं।
ट्विटर पर भी यह मुद्दा लगातार ट्रेंड में बना हुआ है। वायरल वीडियो में वे श्रीराम के हवाले से कह रहे हैं कि सीते अगर तुम्हे लगता है रावण से युद्ध मैंने तुम्हारे लिए लड़ा है तो यह तुम्हारी गलतफहमी है। यह युद्ध मैंनें अपने कुल के सम्मान के लिए लड़ा है। इतना ही नहीं, इसके आगे भी दिव्यकीर्ति ने पुस्तक का संदर्भ देते हुए एक और विवादित बात कही, जिसे हम यहां नहीं लिख सकते हैं।
डॉ दिव्यकीर्ति ने कहा मैं ज्यादा ट्विटर नहीं चलाता लेकिन अध्ययन ज़रूर करता हूँ
दृष्टि आईएएस कोचिंग (Drishti IAS) के संस्थापक और संचालक विकास दिव्यकीर्ति ने बताया कि जो वीडियो वायरल हो रहा है वह यूपीएससी के पूर्व सदस्य, जेएनयू प्रोफेसर व लेखक पुरुषोत्तम अग्रवाल की पुस्तक संस्कृति : वर्चस्व एवं प्रतिरोध के रेफरेंस पर चर्चा के दौरान का है। दिव्यकीर्ति का कहना है कि उन्होंने खुद से कोई टिप्पणी नहीं की, टिप्पणी वाल्मिकी लिखित उत्तर रामायण के श्लोक को लेकर लेखक पुरुषोत्तम अग्रवाल की पुस्तक की गई है। इसी का उन्होंने अपने क्लास के दौरान रेफरेंस दिया था और उसकी एक छोटी सी क्लिप वायरल हो रही है। यह वीडियो भी 2018 का है।
पुस्तक में रामायण और महाभारत का संदर्भ
विकास दिव्यकीर्ति ने अपने सफाई में वाल्मिकी रामायण और तुलसीदास कृत रामचरितमानस के कथित संदर्भ भी बताए हैं। उनका दावा है कि यह उत्तर रामायण का प्रसंग है। उन्होंने कहा कि जेएनयू प्रोफेसर व लेखक पुरुषोत्तम अग्रवाल की संस्कृति : वर्चस्व एवं प्रतिरोध, में पेज 66 और 67 पर ऐसा कहा गया है। सीता के परित्याग वाली बात के संदर्भ में गीता प्रेस द्वारा प्रकाशित महाभारत के द्वितीय खंड में पृष्ठ संख्या 218 और 219 का संदर्भ भी दिया है। श्लोक संख्या 13 का संदर्भ देते हुए लेखक अग्रवाल ने पुस्तक में टिप्पणी की है। इसी के संदर्भ से उन्होंने कक्षा में पढ़ाया था।
अपमानजनक तरीके से समझाना भी विरोध का कारण
वीडियो में डॉ विकास दिव्यकीर्ति हंसते हुए देवी सीता पर अमर्यादित एवं अपमानजनक टिप्पणी कर रहे हैं। हालांकि, वे कथित तौर पर पुस्तक का संदर्भ दे रहे हैं, लेकिन उनकी कक्षा में मौजूद छात्र भी ठहाका मारकर हंस रहे हैं। इस अपमानजनक रवैये से लोगों की आस्था को ठेस पहुंची है। हिंदू समाज के लिए भगवान श्रीराम एवं देवी सीता आस्था के केंद्र हैं और रामायण एक पवित्र और पूजनीय ग्रंथ है।
सीता-राम और रामायण घर-घर में पूजे जाते हैं और आम आदमी के लिए राम मर्यादा पुरुषोत्तम माने गए है। उनके बारे में ऐसी टिप्पणी कोई स्वीकार नहीं सकता है। हालांकि, डॉ विकास दिव्यकीर्ति ने पुस्तक का संदर्भ दिया है और पुस्तक लिखने वाले पुरुषोत्तम अग्रवाल ने उत्तर रामायण का संदर्भ दिया है। जबकि हिंदू जनमानस में प्रचलित है कि वाल्मिकी ने उत्तर रामायण लिखी ही नहीं थी और समाज का एक बड़ा वर्ग इसे मनगढ़त बताता आया है।
इससे पहले नुपूर शर्मा की टिप्पणी पर भी हुआ था बवाल
हाल ही में भाजपा की पूर्व प्रवक्ता नुपूर शर्मा के द्वारा पैगंबर मोहम्मद को लेकर की गई टिप्पणी के मामले में दुनियाभर में विरोध के स्वर उठे थे। उन्होंने भी अपनी टिप्पणी के संदर्भ में संबंधित धार्मिक पुस्तक का हवाला दिया था। लेकिन उनके बयान के बाद सर तन से जुदा के मामले सामने आए थे और सांप्रदायिक तनाव पैदा हो गया था। सोशल मीडिया पर लोग दोनों मामलों को लेकर तुलना भी कर रहे हैं।
हिंदी साहित्य के प्रोफेसर रह चुके हैं डॉ. दिव्यकीर्ति
हरियाणा के एक मध्यमवर्गीय परिवार में जन्मे डॉ. दिव्यकीर्ति के माता-पिता दोनों हिंदी साहित्य के प्रोफेसर रह चुके हैं। इसलिए इनका बचपन से ही हिंदी के प्रति लगाव रहा है। दर्शन शास्त्र, मनोविज्ञान, सिनेमा अध्ययन, सामाजिक मुद्दे और राजनीति विज्ञान उनकी रुचि के अन्य विषय हैं। इन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी से हिंदी साहित्य में एमए, एमफिल और पीएचडी की है। इसके अलावा, ये दिल्ली विश्वविद्यालय और भारतीय विद्या भवन से अंग्रेजी से हिंदी अनुवाद में पोस्ट ग्रेजुएट भी हैं।
केंद्रीय गृह मंत्रालय की नौकरी छोड़कर कोचिंग शुरू की
डॉ. विकास दिव्यकीर्ति ने अपने व्यावसायिक जीवन की शुरुआत दिल्ली विश्वविद्यालय में अध्यापन-कार्य से की थी। डॉ. दिव्यकीर्ति ने अपने पहले ही प्रयास में, साल 1996 में यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा पास कर ली थी। जिसके बाद इन्हें केंद्रीय गृह मंत्रालय में नियुक्ति मिली। लेकिन वहां पर ये ज्यादा समय तक काम नहीं कर पाए और एक साल बाद ही उन्होंने अपनी नौकरी से इस्तीफा दे दिया। जिसके बाद इन्होंने साल 1999 में ‘दृष्टि आईएएस’ कोचिंग इंस्टीट्यूट की स्थापना की। दृष्टि आईएएस के यूट्यूब चैनल पर 70 लाख से ज्यादा सब्सक्राइबर्स हैं। वहीं इंस्टाग्राम पर उनके सात लाख से ज्यादा फॉलोअर्स हैं।
Edited By Deshhit News