गीता प्रेस गोरखपुर को मिला गांधी शांति पुरस्कार 2021, PM मोदी और CM योगी ने ऐसे दी बधाई !

19 Jun, 2023
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Gandhi Peace Prize 2021: गीता प्रेस, गोरखपुर को साल 2021 का गांधी शांति पुरस्कार (Gita Press) दिया जाएगा. बीते 18 जून को यह घोषणा की गई. इस प्रकाशन को यह पुरस्कार ‘अहिंसक और अन्य गांधीवादी तरीकों से सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक परिवर्तन की दिशा में योगदान’ के लिए दिया जाएगा. केंद्र सरकार की तरफ से आधिकारिक बयान में यह जानकारी दी गई है.

PIB की प्रेस रिलीज के मुताबिक, प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाले निर्णायक मंडल ने विचार-विमर्श के बाद सर्वसम्मति से गांधी शांति पुरस्कार के लिए गीता प्रेस, गोरखपुर का चयन किया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गीता प्रेस को पुरस्कार के लिए चुने जाने के लिए बधाई दी. उन्होंने ट्वीट कर लिखा, 

“लोगों के बीच सामाजिक और सांस्कृतिक परिवर्तन को आगे बढ़ाने की दिशा में गीता प्रेस ने पिछले 100 वर्षों में सराहनीय काम किया है. मैं गीता प्रेस, गोरखपुर को गांधी शांति पुरस्कार 2021 से सम्मानित किए जाने पर बधाई देता हूं.”

यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने लिखा, ‘भारत के सनातन धर्म के धार्मिक साहित्य का सबसे महत्वपूर्ण केंद्र, गोरखपुर स्थित गीता प्रेस को वर्ष 2021 का ‘गांधी शांति पुरस्कार’ प्राप्त होने पर हृदय से बधाई.स्थापना के 100 वर्ष पूर्ण होने पर मिला यह पुरस्कार गीता प्रेस के धार्मिक साहित्य को एक नई उड़ान देगा. इसके लिए आदरणीय प्रधानमंत्री जी का हार्दिक आभार.’

कांग्रेस ने उठाए सवाल

इधर विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने गीता प्रेस गोरखपुर को महात्मा गांधी शांति पुरस्कार देने का विरोध किया है. पार्टी ने कहा है कि यह गोडसे और सावरकर को सम्मान देने जैसा है. कांग्रेस पार्टी के सांसद जयराम रमेश ने ट्वीट कर कहा,

“साल 2021 के लिए गांधी शांति पुरस्कार गोरखपुर के गीता प्रेस को दिया जा रहा है, जो कि अपना शताब्दी वर्ष मना रहा है. अक्षय मुकुल की 2015  में आई एक बहुत अच्छी जीवनी है. इसमें उन्होंने इस संगठन के महात्मा के साथ तकरार भरे संबंधों और राजनीतिक, धार्मिक और सामाजिक एजेंडे पर उनके साथ चली लड़ाइयों का खुलासा किया गया है. यह फैसला वास्तव में एक उपहास है और ये सावरकर और गोडसे को पुरस्कार देने जैसा है.”

गांधी शांति अवार्ड की शुरुआत 1995 में हुई थी. केंद्र सरकार की तरफ से यह पुरस्कार महात्मा गांधी के आदर्शों के प्रति याद के तौर पर सालाना स्तर पर दिया जाता है. इस अवार्ड के तहत एक करोड़ रुपये की रकम, एक प्रशस्ति पत्र और एक पट्टिका प्रदान की जाती है. पिछले पुरस्कार विजेताओं में ISRO, रामकृष्ण मिशन, बांग्लादेश के ग्रामीण बैंक, विवेकानंद केंद्र (कन्याकुमारी), अक्षय पात्र (बेंगलुरु), एकल अभियान ट्रस्ट (भारत) और सुलभ इंटरनेशनल (नई दिल्ली) जैसे संगठन शामिल हैं. वहीं साल 2019 ओमान के सुल्तान कबूस बिन सैद अल सैद और 2020 में बांग्लादेश के बंगबंधु शेख मुजीबुर्रहमान को गांधी शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था.

बताते चलें कि साल 1923 में स्थापित गीता प्रेस दुनिया के सबसे बड़े प्रकाशकों में से एक मानी जाती है. इस प्रेस ने अब तक 14 भाषाओं में 41.7 करोड़ पुस्तकें प्रकाशित कर नया रिकार्ड बनाया है. इनमें से श्रीमद्भगवद्गीता की 16.21 करोड़ कॉपियां शामिल हैं. इस संस्था ने पैसे के लिए कभी भी अपने प्रकाशनों के लिए विज्ञापन नहीं लिए. इस प्रकाशन के 100 साल पूरे हो गए हैं.  

विजेता को क्या मिलता है

मंत्रालय ने कहा कि पुरस्कार किसी भी व्यक्ति को दिया जा सकता है चाहे उसकी राष्ट्रीयता, नस्ल, भाषा, जाति, पंथ या लिंग कोई भी हो. मंत्रालय ने कहा कि पुरस्कार में एक करोड़ रुपये, एक प्रशस्ति पत्र, एक पट्टिका और एक उत्कृष्ट पारंपरिक हस्तकला/हथकरघा वस्तु शामिल है. हाल के समय में सुल्तान कबूस बिन सैद अल सैद, ओमान (2019) और बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान, बांग्लादेश (2020) को यह पुरस्कार दिया गया है. 

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