महाराष्ट्र सरकार में उपमुख्यमंत्री बनने के बाद अजित पवार ने कहा कि पहले देश में एक नेता के नाम पर चुनाव लड़ा जाता था। आज भी नरेंद्र मोदी के नाम देश में चुनाव लड़ा जायेगा। पवार ने कहा कि महाराष्ट्र और देश के विकास के लिए हमने यह फैसला लिया है।
मुंबई: महाराष्ट्र की राजनीति में बड़ा उलटफेर देखने को मिला है। एनसीपी के बड़े नेता अजित पवार अपने 40 समर्थक विधायकों के साथ शिंदे सरकार में शामिल हो गए हैं। अजित पवार ने एक बार फिर पार्टी से बगावत करते हुए डिप्टी सीएम की शपथ ले ली है। शरद पवार और अजित पवार के बीच काफी दिनों से रिश्ते ठीक नहीं चल रहे थे। पहले शरद पवार ने सुप्रिया सुले को पार्टी का वर्किंग प्रेसीडेंट बनाया। फिर अजित पवार ने संगठन में बड़ी जिम्मेदारी मांगी तो उसे भी शरद पवार ने नजरअंदाज कर दिया। माना जा रहा है कि इसी वजह से नाराज होकर अजित पवार ने बगावत फैसला लिया।
अजित पवार 8 विधायकों छगन भुजबल, धनंजय मुंडे, अनिल पाटिल, दिलीप वलसे पाटिल, धर्मराव अत्राम, संजय बनसोड़े, अदिति तटकरे और हसन मुश्रीफ के साथ दोपहर करीब 2 बजे राजभवन पहुंचे। 3 बजते-बजते CM शिंदे और डिप्टी CM देवेंद्र फडवणीस की मौजूदगी में सभी को मंत्री पद की शपथ दिलाई गई।
अजित बोले- उद्धव के साथ सरकार बनाई थी, तो शिंदे के साथ आने में क्या गलत
शपथ समारोह के बाद अजित पवार ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की। कहा- मंत्रिमंडल का और विस्तार होगा। कुछ मंत्री सरकार में शामिल हो सकते हैं। कई दिनों से इस बारे में बातचीत चल रही थी। पीएम मोदी देश के विकास के लिए पिछले 9 साल से कई काम कर रहे हैं। मुझे लगा कि हमें भी उनका साथ देना चाहिए। इसलिए मैं NDA में शामिल हुआ।
अब आगे क्या
अजित पवार के NDA में शामिल होने के बाद अब बड़ा सवाल ये है कि NCP किसकी होगी। पार्टी पर अधिकार को लेकर अजित पवार और शरद पवार में सीधी लड़ाई होगी।
अजित पवार का कहना है कि उनके साथ पार्टी के 53 में से 40 विधायक हैं। यानी एक तिहाई से ज्यादा। ऐसे में पार्टी पर अधिकार को लेकर चुनाव आयोग में अजित पवार गुट का दावा मजबूत रहेगा और शरद पवार को पार्टी अध्यक्ष पद छोड़ना पड़ सकता है।
अजित पवार के NDA में आने के मायने
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 27 जून को भोपाल में विपक्षी दलों के 20 लाख करोड़ रुपए के भ्रष्टाचार का जिक्र किया था। तब उन्होंने महाराष्ट्र में 70 हजार करोड़ रुपए के को-ऑपरेटिव और सिंचाई घोटाले का भी नाम लिया था।
ये दोनों विभाग अजित पवार के पास ही थे। इसके अलावा महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी सरकार के दौरान NCP और उद्धव गुट के दर्जनभर नेताओं पर CBI और ED ने कार्रवाई की थी।
सवाल ये है कि अब इन मामलों का क्या होगा? क्या केंद्रीय एजेंसियों की जांच जारी रहेगी या फिर विपक्ष के मुताबिक, भाजपा के वॉशिंग मशीन में धुलकर सभी नेताओं के भ्रष्टाचार खत्म हो जाएंगे।
एनसीपी में दरार उस समय शुरू हुई, जब पार्टी का 25वां स्थापना दिवस समारोह मनाया जा रहा था। दरअसल, एनसीपी के स्थापना दिवस समारोह में अध्यक्ष शरद पवार ने बड़ा एलान किया था। पवार ने अपनी बेटी सुप्रिया सुले और पार्टी के उपाध्यक्ष प्रफुल्ल पटेल को कार्यकारी अध्यक्ष घोषित किया था। जबकि भतीजे अजित पवार को लेकर कोई एलान नहीं किया गया। पवार की ओर से हुए एलान में सुप्रिया सुले को महाराष्ट्र, हरियाणा और पंजाब की जिम्मेदारी भी दी गई।
अजित पवार की बगावत को लेकर क्या बोले असदुद्दीन ओवैसी
AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि पटना में विपक्ष की बैठक हुई और बैठक में शरद पवार जिस प्रफुल्ल पटेल को लेकर आए थे. वे आज बीजेपी से जाकर मिल गए. इसके बावजूद भी कांग्रेस सेक्युलरिज्म का सर्टिफिकेट बांटती है. कांग्रेस अपने गिरेबान में झांककर देखें कि उन्होंने कैसे-कैसे धोखे दिए हैं. आज मीडिया में हर विपक्ष पार्टी का नेता रो रहा है हैं कि बीजेपी ने NCP को तोड़ दिया. आज 40 विधायक चले गए तो गलत है और बिहार में हमारे 4 विधायकों को आपने खरीद लिया तो वह सही है? तुम करो तो अच्छा और दूसरे करें तो गलत.