Meerut News : मेरठ में बीती रात 8:30 शनिवार को कांवड़ यात्रा के दौरान बड़ा हादसा हो गया. हाईटेंशन लाइन की चपेट में डाक कांवड़ियों का डीजे आने से चार से ज्यादा कांवड़ियों की मौत हो गई. वहीं, चार कांवड़िए गंभीर रूप से झुलस गए. बताया गया कि जिस समय हादसा हुआ उस समय डीजे में करीब 17 से ज्यादा कांवड़िए मौजूद थे.
हादसे में जिनकी जान गई है पुष्टि हुई है।
1.हिमांशु
2.प्रशांत (हिमांशु और प्रशांत दोनों भाई हैं)
- लख्मी
- धर्मेंद्र
जो झुलसे हैं
- विशाल पुत्र सुरेश चंद सैनी
- अजय पुत्र सुरेश चंद सैनी
- अभिषेक पुत्र विनोद सैनी
- मनीष पुत्र सुशील सैनी
- योगेश पुत्र शम्मी सैनी
- रोहताश पुत्र कहार सैनी
- प्रदीप पुत्र बिजेंद्र सैनी
- अनुज
- विनीत पुत्र सुशील
- सहेंसर सैनी पुत्र खेमचंद सैनी
- महेंद्र पुत्र कमलू सैनी
- मोहित पुत्र जयवीर सैनी
- प्रिंस पुत्र सुखपाल सैनी
- हिमांशु पुत्र सुरेश चंद सैनी
- सूरज पुत्र सुभाष सैनी
- सचिन पुत्र जयपाल सैनी
राली चौहान गांव निवासी संजू और प्रदीप अपने साथियों के साथ शनिवार रात कांवड़ लेकर हरिद्वार से गांव पहुंचे। गांव से बाहर मेरठ-किला मार्ग पर कांवड़ देखने के लिए ग्रामीणों की भीड़ जमा थी। किला मार्ग से राली की ओर मुड़ने के दौरान ही साउंड सिस्टम की ट्रॉली और कांवड़ हाइटेंशन लाइन की चपेट में आ गई। पूरी ट्रॉली में करंट दौड़ गया और तमाम कांवड़ियां और आसपास मौजूद तीन लोग झुलस गए। मौके पर चीख पुकार मच गई। कुछ लोगों ने घायलों को ट्रॉली से अलग किया। करीब 20 घायलों को तुरंत अस्पताल भेजा गया। इनमें से चार की मौत होने की पुष्टि की गई है। अन्य घायलों को गंगानगर के आईआईएमटी, मेरठ के आनंद अस्पताल और मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया है। सूचना पर डीएम और एसएसपी फोर्स के साथ मौके पर पहुंच कर स्थित का जायजा लिया.
वहीं कांवड़ियों के साथ हुए हादसे पर सीएम योगी आदित्यनाथ ने शासन से रिपोर्ट मांगी है. यह दावा सूत्रों ने किया है. सूत्रों के अनुसार मेरठ कांवड़िया मामले पर ऊर्जा मंत्री AK शर्मा से CM ने बात की. सूत्रों का दावा है कि कांवड़िया हादसे मामले पर CM योगी ने बिजली विभाग के उच्चाधिकारियों की क्लास लगाई.
किसी भी अप्रिय घटना से बचने के लिए अतिरिक्त बल तैनात किया गया है.
कांवर यात्रा शिवभक्तों की वार्षिक तीर्थयात्रा है. लाखों तीर्थयात्री गंगा नदी से जल लाते हैं और इसे अपने स्थानीय शिव मंदिरों या विशिष्ट मंदिरों में चढ़ाने के लिए सैकड़ों किलोमीटर तक अपने कंधों पर ले जाते हैं. तीर्थयात्री, जिन्हें कांवड़िया कहा जाता है, केसरिया पोशाक पहनते हैं और अक्सर भक्ति प्रदर्शित करते हुए नंगे पैर चलते हैं.