रामचरित मानस विवाद के बाद साधु संतों पर आपत्तिजनक बयान देने वाले सपा के राष्ट्रीय महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य ने अब बदरीनाथ धाम को बौद्ध धर्मस्थल बता दिया। उनके इस बयान से अब सियासी हलचल तेज हो गई है।
उत्तराखण्ड : शुक्रवार को सूबे के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस पर बयान दिया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने स्वामी प्रसाद मौर्य के साथ-साथ समाजवादी पार्टी पर भी निशाना साधा।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पलटवार करते हुए कहा कि ‘महाठगबंधन’ की सदस्य सपा के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य का यह बयान उनकी देश और धर्म विरोधी सोच को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि स्वामी प्रसाद के नाम के आगे स्वामी है। कम से कम उन्हें ऐसा बयान देने से पहले सोचना चाहिए।
हालांकि, वह जिस गठबंधन का हिस्सा हैं, उनका इस तरह के बयान देना स्वाभाविक है। जो लोग तुष्टीकरण में विश्वास करते हैं।
क्या बोल गए स्वामी प्रसाद मौर्या ?
दरअसल, ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वे पर प्रतिक्रिया देते हुए सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा था कि अगर एएसआई सर्वे हो ही रहा है तो सिर्फ ज्ञानवापी का नहीं बल्कि सभी हिंदू मंदिरों का होना चाहिए। अधिकांश मंदिर बौद्ध मठों तो तोड़कर बनाए गए हैं। गड़े मुर्दे उखाड़ने की कोशिश की जाएगी तो बात बहुत दूर तक जाएगी। हम ऐसा नहीं चाहते। हम चाहते हैं कि भाई-चारा बना रहे। मौर्य ने दावा किया कि 8वीं सदी तक उत्तराखंड का बद्रीनाथ धाम बौद्ध मठ था। आदि शंकराचार्य ने उसे हिंदू मंदिर बनाया।
इसी बयान बाजी को लेकर सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य की कड़ी आलोचना हो रही है I
प्रदेश के धर्मस्व एवं संस्कृति मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि मौर्य को सनातन धर्म की जानकारी नहीं है और वह इस तरह की बयानबाजी कर केवल खबरों में बने रहना चाहते हैं. महाराज ने कहा कि बदरीनाथ धाम में नर-नारायण ने तपस्या की थी. उन्होंने कहा, ‘‘उस वक्त महात्मा बुद्ध का जन्म भी नहीं हुआ था. इसलिए बदरीनाथ धाम को बौद्ध मठ बताना सरासर गलत है.’’
उन्होंने कहा कि मौर्य को यह भी पता होना चाहिए कि जब पहले नीति घाटी के जरिए उत्तराखंड में व्यापार होता था तो उस समय भगवान बदरीनाथ के लिए तिब्बत के मठों से भी चढ़ावा आता था. उन्होंने कहा कि बौद्ध मठों ने भी भगवान बदरी-विशाल की महिमा को माना है.
अपने बयान पर राजनीतिक नेताओं से लेकर सोशल मीडिया उपयोक्ताओं की कड़ी प्रतिक्रिया के बाद मौर्य ने शुक्रवार को एक ट्वीट कर कहा कि अब उन्हें अपनी आस्था याद आ रही है तो क्या औरों की आस्था, आस्था नहीं है.
मौर्य ने कहा, ‘‘आखिर मिर्ची लगी न, अब आस्था याद आ रही है. क्या औरों की आस्था, आस्था नहीं है?’’ सपा नेता ने कहा कि किसी की आस्था को चोट न पहुँचे, इसलिए उन्होंने कहा था कि 15 अगस्त, 1947 के दिन जिस भी धार्मिक स्थल की जो स्थिति थी, उसे यथास्थिति मानकर किसी भी विवाद से बचा जा सकता है. उन्होंने कहा, ‘अन्यथा, ऐतिहासिक सच स्वीकार करने के लिए तैयार रहना चाहिए. आठवीं शताब्दी तक बदरीनाथ बौद्ध मठ था, उसके बाद बदरीनाथ धाम हिन्दू तीर्थस्थल बनाया गया, यही सच है.’