Ghee Sankranti आज उत्तराखंड का प्रसिद्ध लोकपर्व घी संक्रांति है। ये माना जाता है कि ग्रहों के राजा सूर्य देव जब कर्क राशि से निकलकर अपनी राशि सिंह में प्रवेश करते हैं तो उस दिन घी संक्रांति या सिंह संक्रांति मनाई जाती है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने के बाद सूर्य देव की पूजा करते हैं और दान करते हैं। स्नान और दान करने से पुण्य मिलता है।
देहरादून : उत्तराखंड अपनी संस्कृति और लोकपर्व के लिए जाना जाता है. उत्तराखंड के ऐसा ही एक पारंपरिक पर्व है घी संक्रांति, जिसे उत्तराखंड के लोग बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं. आज आपको उत्तराखंड के इस लोकपर्व के बारे में बताते हैं.
घी संक्रांति यानी सिंह संक्रांति का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है ऐसा माना जाता है कि जब सूर्य अपनी प्रिय राशि सिंह में प्रवेश करते हैं तो सिंह संक्रांति मनाई जाती है इस दिन पवित्र नदियों के स्नान करने के बाद सूर्य देव की पूजा और स्नान करने का विशेष महत्व है मान्यता यह भी है कि ऐसा करने से सूर्य देव रूठी किस्मत को भी चमका देते हैं कहां जाता है किस दिन घी का सेवन करना शुभ और फलदाई होता है इसी दिन घी का इस्तेमाल करने के कारण ही इसे घी संक्रांति कहते हैं ऐसा मानता है कि जो लोग संक्रांति पर घी नहीं खाते हैं वह अगले जन्म में घोंघा बनते हैं
घी संक्रांति से जुड़ी मान्यता
उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल में घी संक्रांति के दिन मक्खन और घी के साथ बेडू रोटी (उड़द की दाल की पिट्टी भरी रोटी) खाने का रिवाज है घी संक्रांति भादो मास की प्रथम तिथि को मनाया जाता है इस दिन महिलाएं घरों में अपने बच्चों के सिर पर ताजा मक्खन मिलती है और दीर्घ जीवी होने की कामना करती है
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने घी संक्रांति के अवसर पर प्रदेशवासियों को बधाई संदेश दिया है
पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने भी घी संक्रांति के अवसर पर प्रदेशवासियों को बधाई संदेश दिया है