राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने किसान अधिकारों पर पहली वैश्विक संगोष्ठी का उद्घाटन किया

12 Sep, 2023
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नई दिल्ली : राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने आज (12 सितंबर, 2023) नई दिल्ली में किसान अधिकारों पर पहली वैश्विक संगोष्ठी का उद्घाटन किया। इस अवसर पर अपने संबोधन में राष्ट्रपति ने कहा कि दुनिया का कृषक समुदाय इसका अग्रणी संरक्षक है और वे फसल विविधता के सच्चे संरक्षक हैं।

उन्होंने कहा कि किसानों को असाधारण शक्ति और जिम्मेदारी दी गई है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि हम सभी को पौधों और प्रजातियों की विभिन्न किस्मों की रक्षा करनी चाहिए और उन्हें पुनर्जीवित करने के किसानों के प्रयास की सराहना करनी चाहिए, इन वनस्पतियां अस्तित्व हम सभी के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।

देश: राष्ट्रपति ने किसानों के अधिकारों पर पहली वैश्विक संगोष्ठी का किया  उद्घाटन - Fast Mail Hindi

इस संगोष्ठी का आयोजन खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ), रोम के खाद्य और कृषि पादप आनुवंशिक संसाधनों पर अंतर्राष्ट्रीय संधि (अंतर्राष्ट्रीय संधि) के सचिवालय द्वारा किया जा रहा है।

केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय पौधा किस्म और किसान अधिकार (पीपीवीएफआर) प्राधिकरण, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर), आईसीएआर-भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई), और आईसीएआर-राष्ट्रीय पादप आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो (एनबीपीजीआर) के सहयोग से आयोजित कर रहा है।

राष्ट्रपति मुर्मु ने कहा कि भारत विविधता से भरपूर एक विशाल देश है, जिसका क्षेत्रफल विश्व का केवल 2.4 प्रतिशत है। विश्व के पौधों की विभिन्न किस्मों और जानवरों की सभी दर्ज प्रजातियों का 7 से 8 प्रतिशत भारत में मौजूद है। उन्होंने कहा कि जैव विविधता के क्षेत्र में भारत पौधों और प्रजातियों की विस्तृत श्रृंखला से संपन्न देशों में से एक है।

President Draupadi Murmu said that being born in a tribal society is not a  bad thing - आदिवासी समाज में जन्म लेना बुराई नहीं, मैं इसका उदाहरण हूं;  बोलीं राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ,

राष्ट्रपति ने कहा कि भारत की यह समृद्ध कृषि-जैव विविधता वैश्विक समुदाय के लिए अनुपम निधि रही है। उन्होंने कहा कि हमारे किसानों ने कड़े परिश्रम और उद्यमिता से पौधों की स्थानीय किस्मों का संरक्षण किया है, जंगली पौधों को अपने अनुरूप बनाया है और पारंपरिक किस्मों का पोषण किया है, इससे फसल प्रजनन कार्यक्रमों को आधार मिला है और इससे मनुष्यों और पशुओं के लिए भोजन और पोषण की सुरक्षा सुनिश्चित हुई है।

राष्ट्रपति ने कहा कि कृषि अनुसंधान और प्रौद्योगिकी विकास ने भारत को 1950-51 के बाद से खाद्यान्न, बागवानी, मत्स्य पालन, दूध और अंडे के उत्पादन को कई गुना बढ़ाने में योगदान दिया है, इससे राष्ट्रीय खाद्य और पोषण सुरक्षा पर अनुकूल प्रभाव पड़ा है।

उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि कृषि-जैव विविधता संरक्षकों और परिश्रमी किसानों, वैज्ञानिकों और नीति निर्माताओं के प्रयासों ने सरकार के समर्थन से देश में कई कृषि क्रांतियों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि प्रौद्योगिकी और विज्ञान विरासत ज्ञान के प्रभावी संरक्षक और संवर्द्धक के रूप में कार्य कर सकते हैं।

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