जयपुर. रेलवे ने आम यात्री को राहत देने के लिए बड़ा फैसला किया है. इस फैसले के तहत अब आनन-फानन में ट्रेनों को रद्द नहीं किया जा सकेगा. यह बात दीगर है कि मौसम के लिहाज से भले ही ऐसा निर्णय वह कर सकेगा लेकिन अन्य किसी भी कारण से वह ट्रेन को रद्द करने का आदेश नहीं दे सकेगा. अन्य किसी कारण से भी अगर कोई ट्रेन रद्द करनी है तो उसे पहले शेड्यूल करना पड़ेगा. वह भी 26 सप्ताह पहले. इससे उन यात्रियों को बड़ी राहत मिलेगी जो टिकट कन्फर्म होने के बाद भी अचानक ट्रेन रद्द होने के कारण यात्रा करने से वंचित रह जाते हैं.
रेलवे में पहले निर्माण कार्य और अब कोहरे के चलते ट्रेनों को रद्द होने का सिलसिला रूक ही नहीं रहा है. हालांकि ट्रेन रद्द होने के दोनों ही कारण अलग-अलग हैं. मौसम की वजह से ट्रेन रद्द होने का फैसला अंतिम समय में हो सकता है लेकिन निर्माण कार्यों के चलते रद्दीकरण के फैसले के मामले में अब रेलवे बोर्ड ने दखल दिया है.
बीते एक साल से देशभर में अमृत भारत स्टेशन योजना के तहत कई रेलवे स्टेशनों का कायाकल्प किया जा रहा है. उत्तर पश्चिम रेलवे में भी जयपुर समेत कई रेलवे स्टेशनों की सूरत बदली जा रही है. दोहरीकरण से लेकर इलेक्ट्रीफिकेशन का काम जोरों पर है और इन्ही सब कामों के चलते दर्जनों रेलें रद्द की जा रही है. इस रद्दीकरण से यात्रियों को खासी परेशानी उठानी पड़ती है और कफंर्म टिकट के बावजूद उनकी यात्रा रद्द हो जाती है. रेलवे बोर्ड ने अब रेलों के रद्दीकरण को लेकर नए दिशा निर्देश जारी किए हैं.
रेलवे बोर्ड चाहता है कि यात्रियों को कम से कम परेशानी हो
उत्तर पश्चिम रेलवे के सीपीआरओ कैप्टन शशि किरण ने बताया कि ट्रेनों को रद्द करने का फैसला एक दिन में अचानक नहीं लिया जाता है. इसकी एक पूरी प्रक्रिया होती है. जहां-जहां काम चल रहे होते हैं उस काम की प्रोग्रेस और रूट के हिसाब से तय किया जाता है कि ट्रेनों को कब और कितने समय के लिए रद्द करना है. लेकिन रेलवे बोर्ड चाहता है कि यात्रियों को कम से कम परेशानी हो. किसी कारण से ट्रेन रद्द करनी का तो उसे 26 सप्ताह पहले ही शेड्यूल करना होगा. अगर इसे समय रहते पहले तय कर लिया जाएगा तो यात्रियों को असुविधा नहीं होगी.
सभी रेलवे जोन को बनानी पड़ेगी नई रूपरेखा
बहरहाल सभी रेलवे जोन ट्रेनों के सामने समस्या ये है कि 26 हफ्ते पहले कैसे तय किया जाए कि रेलों को रद्द करना है या नहीं. क्योंकि जोन निर्माण कार्य के हिसाब से तय करते हैं कि ट्रेनों को कब रद्द किया जाए. फिलहाल सभी रेलवे जोन क्या नई रूपरेखा बनाते हैं और कितना इन निर्देशों का पालन करते है ये रद्दीकरण की तारीखें देखकर ही पता चल पाएगा.