सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि के भ्रामक विज्ञापनों पर कड़ी टिप्पणी करते हुए उत्तराखंड सरकार को तत्काल कार्रवाई करने का निर्देश दिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने आईएमए द्वारा दिए गए तथ्यों के अधार पर पतंजलि द्वारा अपने उत्पादों के प्रभाव और गुणों को लेकर किए गए झूठे और अतिरंजित दावों पर गहरी नाराजगी व्यक्त की हैं।
शीर्ष न्यायालय ने कहा कि पतंजलि के इन विज्ञापनों से केवल उपभोक्ताओं को गुमराह किया जा रहा है, इसके साथ यह भारत के आयुर्वेद की प्राचीन परंपरा को भी नुकसान पहुंचा रहा है। यदि उत्तराखंड सरकार इस हरिद्वार स्थित पतंजलि द्वारा किए गए भ्रामक दावों के मामले में त्वरित कदम नहीं उठाती है, तो शीर्ष अदालत ने राज्य सरकार पर भीं “कड़ी कार्रवाई” करने की चेतावनी दी है। इसके साथ स्वामी रामदेव और बालकृष्ण द्वारा मांगी गई माफी को अस्वीकार करते हुए उन्हें कार्यवाही के लिए तैयार रहने को कहा।
मुख्य बिंदु:
- सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि के विज्ञापनों में किए गए भ्रामक दावों को गंभीरता से लिया है।
- बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण द्वारा दायर माफीनामा को कोर्ट ने स्वीकार नहीं किया।
- उत्तराखंड सरकार को तत्काल कार्रवाई करने का निर्देश दिया गया है, अन्यथा कड़ी कार्रवाई की चेतावनी दी गई है।
निष्कर्ष:
न्यायालय का यह फैसला उपभोक्ताओं के लिए एक मील के पत्थर जैसा है। जिससे यह स्पष्ट होता है सरकार की निष्क्रियता के बाद सुप्रीम कोर्ट ने भ्रामक विज्ञापनों के खिलाफ सख्त रुख अपना उपभोक्ता के हितों की रक्षा कर रहा है। इस निर्णय के बाद यह स्पष्ट होता है उपभोक्ता के हित के लिए सरकारी कितनी लापरवाह एवं गैर जिम्मेदार है। परंतु न्यायालय के इस फैसले से यह उम्मीद की जाती है कि यह फैसला विज्ञापनदाताओं एवन मूक दर्शक सरकार को भविष्य में अधिक जिम्मेदार और वास्त्विक विज्ञापन बनाने के लिए प्रेरित करेगा।
Sandeep Upadhyay