बहराइच, मानसून की तैयारियों के तहत, चौधरी चरण सिंह घाघरा बैराज को हर साल की तरह इस साल भी बंद कर दिया गया है। यह बांध लखीमपुर-बहराइच की सीमा पर स्थित है और नेपाल से बहकर आने वाली गेरुआ और कौड़ियाला नदियों के पानी को नियंत्रित करता है।
हालांकि, इस साल नहरों में पानी की मांग को देखते हुए बांध को थोड़ी देरी से बंद किया गया। बांध बंद होने से गेरुआ और कौड़ियाला नदियों का पानी नहरों और घाघरा नदी में छोड़ दिया गया है, जिसके कारण कतर्नियाघाट जंगल की ये नदियां धीरे-धीरे सूखने लगी हैं।
इससे जलीय जीवों और जंगल के अन्य जानवरों के लिए पानी का संकट गहरा रहा है।
बांध बंद होने के मुख्य कारण:
- मानसून की तैयारी: बांध के गेटों और अन्य हिस्सों को मानसून से पहले दुरुस्त करने के लिए हर साल एक महीने के लिए बंद किया जाता है।
- नहरों में पानी की आपूर्ति: बांध से निकलने वाली नहरें खेतों की सिंचाई और पेयजल आपूर्ति के लिए महत्वपूर्ण हैं। बांध बंद करने से इन नहरों में पर्याप्त पानी पहुंचाया जाता है।
जलीय जीवों पर प्रभाव:
- सूखे की स्थिति: नदियों के सूखने से जलीय जीवों के लिए भोजन और आवास की कमी हो सकती है।
- प्रजनन पर प्रभाव: सूखे से मछलियों और अन्य जलीय जीवों के प्रजनन पर भी बुरा असर पड़ सकता है।
स्थानीय प्रशासन द्वारा किए गए प्रयास:
- जल संरक्षण: जलीय जीवों को बचाने के लिए स्थानीय प्रशासन द्वारा जल संरक्षण के प्रयास किए जा रहे हैं।
- जागरूकता अभियान: लोगों को जल संरक्षण के महत्व के बारे में जागरूक करने के लिए अभियान चलाए जा रहे हैं।
उवेश रहमान