करनाल: हरियाणा के करनाल जिले में करीब 1,200 किसान ‘मेरा पानी, मेरी विरासत’ योजना के तहत मिलने वाले प्रोत्साहन राशि का इंतजार कर रहे हैं। यह योजना धान की खेती के बजाय अन्य फसलों की खेती करने वाले किसानों को प्रोत्साहित करती है।
किसानों को 7,000 रुपये प्रति एकड़ मिलते हैं
इस योजना के तहत, धान की जगह अन्य फसलें उगाने वाले किसानों को प्रति एकड़ 7,000 रुपये दिए जाते हैं। योजना का लक्ष्य पानी की अधिक खपत वाले धान की खेती को कम करना है, जो भूजल संसाधनों को कम करता है।
2,540 एकड़ में ही हुई योजना लागू
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, योजना का लक्ष्य 5,300 एकड़ भूमि को कवर करना था, लेकिन पिछले धान के मौसम में केवल 2,540 एकड़ भूमि को ही योजना के तहत लाया गया था।
किसानों को नहीं मिला प्रोत्साहन
किसानों का आरोप है कि उन्हें अभी तक प्रोत्साहन राशि नहीं मिली है। प्रोत्साहन राशि के वितरण में देरी से किसानों में नाराजगी है।
मुबारकाबाद गांव के किसान जोगिंदर सिंह ने कहा कि उनके एफपीओ के 200 से अधिक किसानों ने धान की जगह सब्जियां, मक्का और अन्य फसलें उगाई थीं, लेकिन उन्हें अभी तक प्रोत्साहन राशि नहीं मिली है।
किसानों की मांग
किसानों ने सरकार से मांग की है कि जल्द से जल्द प्रोत्साहन राशि जारी की जाए ताकि वे योजना का लाभ उठा सकें।
कृषि विभाग ने स्वीकार की देरी
कृषि विभाग ने प्रोत्साहन राशि वितरण में देरी की बात स्वीकार की है। विभाग का कहना है कि धनराशि मुख्यालय से जारी की जानी बाकी है।
निष्कर्ष:
‘मेरा पानी, मेरी विरासत’ योजना का उद्देश्य सराहनीय है, लेकिन प्रोत्साहन राशि वितरण में देरी योजना की सफलता में बाधा बन सकती है। सरकार को जल्द से जल्द किसानों को प्रोत्साहन राशि वितरित करनी चाहिए ताकि वे योजना में अधिक रुचि दिखा सकें।