लखीमपुर खीरी: शारदा नदी के उफान ने लखीमपुर खीरी जिले में हाहाकार मचा रखा है। बिजुआ क्षेत्र की ग्राम पंचायत करसौर के मजरा नयापुरवा गांव में तो स्थिति बेहद गंभीर है। लगातार हो रही बारिश और नदी के बढ़ते जलस्तर के कारण गांव का एक मकान नदी में समा गया। इस घटना ने पूरे क्षेत्र में दहशत पैदा कर दी है।
कई गांवों पर संकट:
न केवल नयापुरवा बल्कि बेलहासिकटिहा, दम्बलटांडा, लौकहा, ढखिया जैसे कई गांवों के मकान भी नदी के कटाव के खतरे में हैं। शारदा नदी लगातार कटाव कर रही है और कई मकानों को अपनी चपेट में ले चुकी है। इससे ग्रामीणों में दहशत का माहौल है।
पलायन को मजबूर लोग:
नदी के बढ़ते जलस्तर के कारण कई ग्रामीणों को अपना घर छोड़कर अन्य स्थानों पर शरण लेनी पड़ रही है। धोबियाना, बेचनपुवा और पकरियापुरवा गांव के लोग निकास बंद होने के डर से पलायन कर रहे हैं। शंकरपुरवा और पकरियापुरवा के कई घरों पर भी खतरा मंडरा रहा है।
प्रशासन की उदासीनता:
सदर तहसील के अहिराना और मंझरी गांव के बाढ़ पीड़ितों का दर्द सुनने वाला कोई नहीं है। नदी अगर यूं ही आगे बढ़ती रही तो शंकरपुरवा के 60 और पकरियापुरवा के 50 घर तबाह हो जाएंगे। इसी वजह से धोबियाना गांव के राजकुमार, भानु प्रताप, लाल जी, संजय कुमार, सुनील कुमार और करपुरवा के रवींद्र, मुशफिर, बबलू आदि पलायन कर मिलपुरवा में झोपड़ी डालकर गुजर बसर कर रहे हैं। इन लोगों ने अपना घर और जमीन खो दी है, लेकिन प्रशासन से उन्हें कोई मदद नहीं मिल रही है। ये लोग अब दूसरों की जमीन पर झोपड़ी बनाकर रहने को मजबूर हैं।
संकट के समय प्रशासन की भूमिका:
इस तरह की आपदा के समय प्रशासन की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण होती है। प्रशासन को प्रभावित लोगों को राहत और पुनर्वास के लिए तत्काल कदम उठाने चाहिए। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में राहत शिविर लगाए जाने चाहिए और लोगों को खाने-पीने का सामान, कपड़े और दवाइयां मुहैया करवाई जानी चाहिए।
आपदा प्रबंधन:
इस घटना से एक बार फिर यह बात सामने आई है कि हमें आपदा प्रबंधन के लिए बेहतर तैयार रहने की आवश्यकता है। हमें ऐसे इलाकों में मजबूत तटबंध बनाए जाने चाहिए जहां बाढ़ का खतरा ज्यादा रहता है। साथ ही, लोगों को बाढ़ से निपटने के लिए प्रशिक्षित भी किया जाना चाहिए।
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