चमत्कारिक बाबा भोलेनाथ मंदिर वजीरगंज: श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र

02 Aug, 2024
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वजीरगंज, बदायूं: वजीरगंज के नंदवारी गांव में स्थित बाबा भोलेनाथ मंदिर अपनी चमत्कारिक मान्यताओं के लिए प्रसिद्ध है। सावन माह में यहां शिव भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है, जो सच्चे मन से अपनी मुरादें पूरी करने के लिए बाबा भोलेनाथ के दर्शन करने आते हैं।

इतिहास और स्थापना:

करीब 300 वर्ष पूर्व, वजीरगंज के सेठ स्व. बिहारी लाल के पूर्वजों ने एमएफ हाइवे के किनारे एक प्याऊ की स्थापना की थी। उनके दादा रामसुख दास जमींदार थे। उस समय बदायूं-चंदौसी को जोड़ने वाली सड़क कच्ची थी और राहगीरों के लिए प्याऊ का शीतल जल बहुत प्रिय था। प्याऊ के पास पीपल और नीम के विशाल वृक्ष थे, जहां राहगीर विश्राम करते थे।

सिद्ध पुरुष भोलानाथ:

सड़क के दक्षिण दिशा में स्थित खेड़ा, वेटोर गांव के उजड़ने के बाद बना था। इसी प्याऊ पर सिद्ध पुरुष भोलानाथ ने अपनी कुटिया बनाई। भगवान शंकर के अनन्य भक्त भोलानाथ की प्रसिद्धि क्षेत्र में फैल गई और लोग उनका आदर सत्कार करने लगे। भोलानाथ के निधन के बाद, नंदवारी गांव के लोगों ने उनका अंतिम संस्कार इसी खेड़े पर किया। कहा जाता है कि भोलानाथ प्रेत रूप में दिखाई देने लगे और लोगों की मुरादें पूरी करने लगे।

किवदंतियां और मान्यताएं:

किवदंती है कि इस क्षेत्र से कोई चोरी करके निकलता था तो सिद्ध पुरुष सफेद कपड़ों में खड़ाऊं पहने दिखते थे। चोर डरकर रास्ता बदल लेते थे और खट-खट की आवाज सुनकर घबरा जाते थे। इससे भोलानाथ की मान्यता दिन प्रतिदिन बढ़ती गई। वेटोर के खेड़े पर सिद्ध पुरुष का देव स्थान बनाकर पूजा अर्चना हर सोमवार को होने लगी। अब श्रद्धालु भव्य बाबा भोलानाथ के मंदिर पर शिव त्रियोदशी और सावन के हर सोमवार को जल चढ़ाकर मनौती मांगते हैं।

मंदिर निर्माण की प्रेरणा:

उघैती कस्बे में सावन के महीने में भगवान शिव अपने भक्तों का सारा दुख हर लेते हैं। यहां के शिव मंदिर पर पूजा-अर्चना की विशेष मान्यता है। श्रद्धालु दूर-दूर से आकर शिवलिंग पर दूध और बेल पाती चढ़ाते हैं और अपनी मन्नतें पूरी करते हैं। इसलिए यहां रोजाना शिवलिंग की पूजा करने के लिए कस्बे के साथ दूर दराज से भी महिलाएं व पुरुष आते हैं लेकिन सोमवार के दिन इस शिव मंदिर पर भक्तों की लंबी लाइन लग जाती है।
चर्चित कहानी है शिव मंदिर के निर्माण की


गांव के बुजुर्गों ने बताया कि मंदिर का निर्माण करने का विचार कस्बे के रहने वाले दो भाइयों डॉ. नत्थूलाल गुप्ता व मोरपाल गुप्ता को आया। एक बार दोनों भाई बैठकर बातें कर रहे थे कि तभी मोरपाल गुप्ता के मन में भगवान शिव का मंदिर बनाने का विचार उठने लगा और तभी दोनों भाइयों ने कस्बे के ग्रामीणों के सहयोग से सन 2006 में इस मंदिर को बनवाकर इस में शिवलिंग और शिव के वाहन नंदी को स्थापित कर दिया। मंदिर में दोनों ने मिलकर शिव की आराधना की तभी से इस मंदिर पर कस्बे के साथ पड़ोस के लोग पूजा करने लगे और आज भी दोनो भाई इस मंदिर की देखरेख कर रहे हैं।

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