अमेरिकन साइकोलॉजिकल एसोसिएशन (एपीए) के अनुसार, पॉलीग्राफ टेस्ट किसी व्यक्ति की “हृदय गति/रक्तचाप, श्वसन और त्वचा की चालकता” को मापता है। परीक्षण का उद्देश्य आमतौर पर यह साबित करना होता है कि किसी व्यक्ति ने अपराध किया है या नहीं ।
नई दिल्ली: दिल्ली के श्रध्दाहत्याकांड के आरोपित आफताब। जिसने अपने ही गर्लफ्रेंड के आरी से 35 टुकड़े कर दिए पुलिस को इस खूखार आरोपित के खिलाफ अभी तक कोई भी ऐसा सबूत नहीं मिला है। जिससे उसे कोर्ट में गुनहगार साबित किया जा सके। ऐसे में दिल्ली पुलिस की सारी उम्मीदें सोमवार को होने वाली नार्को टेस्ट पर टिकी थी। बहराल, सोमवार को नार्को टेस्ट नहीं हो पाया है। जानकारी के मुताबिक, नार्को टेस्ट से पहले आफताब का पॉलीग्राफ टेस्ट किया जाएगा।
क्या होता है पॉलीग्राफ टेस्ट ?
पॉलीग्राफ टेस्ट इसे लाई डिटेक्टर टेस्ट भी कहा जाता है। झूठ पकड़ने की एक खास तकनीक है। इसमें आरोपी या संबंधित शख्स से पूछताछ होती है और जब वह जवाब देता है, उस वक्त एक खास मशीन की स्क्रीन पर कई ग्राफ बनते हैं। पल्स ,हार्ट रेट और ब्लड प्रेशर में बदलाव के हिसाब से ग्राफ ऊपर-नीचे होता है।
पॉलीग्राफ टेस्ट का उद्देश्य क्या है?
अमेरिकन साइकोलॉजिकल एसोसिएशन (एपीए) के अनुसार, पॉलीग्राफ टेस्ट किसी व्यक्ति की “हृदय गति/रक्तचाप, श्वसन और त्वचा की चालकता” को मापता है। परीक्षण का उद्देश्य आमतौर पर यह साबित करना होता है कि किसी व्यक्ति ने अपराध किया है या नहीं । हालाँकि, परीक्षण वास्तव में ईमानदारी के लिए परीक्षण नहीं कर सकता है।
क्या होता है नार्को टेस्ट ?
नार्को टेस्ट एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसके जरिए इंसान को ट्रूथ सीरम दिया जाता है। मतलब एक खास तरह का इंजेक्शन दिया जाता है, जिसमें इंसान अपनी सोचने की प्रक्रिया को खत्म कर लेता है। वो बिल्कुल शून्य हो जाता है। हालांकि, इस सीरम के कई साइड इफेक्ट्स भी होते हैं।
नार्को टेस्ट का उद्देश्य ?
नार्को परीक्षण का प्रयोग किसी व्यक्ति से जानकारी प्राप्त करने के लिए दिया जाता है जो या तो उस जानकारी को प्रदान करने में असमर्थ होता है या फिर वो उसे उपलब्ध कराने को तैयार नहीं होता दूसरे शब्दों में यह किसी व्यक्ति के मन से सत्य निकलवाने लिए किया प्रयोग जाता है।
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