आखिर शिक्षक दिवस 5 सितंबर को ही क्यों मनाया जाता है जानिए इसके पीछे की कहानी ?

05 Sep, 2023
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Teachers Day 2023: अज्ञान से ज्ञान की ओर ले जाने वाले गुरुओं को हमारे भारतवर्ष में प्राचीन काल से ही सर्वोच्च सम्मान देने की परंपरा रही है। हमारे हिंदु धर्म में गुरुओं को एक बहुत बड़ा स्थान दिया जाता है इसके उपलक्ष्य में शिक्षा दिवस की तरह ही गुरु पूर्णिमा नाम का पर्व भी मनाया है। हमारे जीवन में गुरु का बड़ा ही महत्व है. भारत में हर साल 5 सितंबर को शिक्षक दिवस (Teachers Day) मनाया जाता है. यह देश के पहले उपराष्ट्रपति और पूर्व राष्ट्रपति,  जो कि एक विद्वान,  दार्शनिक और भारत रत्न से सम्मानित डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के. जन्मदिन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है, जिनका जन्म 05 सितंबर 1888 को हुआ था.

शिक्षक हमारे जीवन में कितनें महत्वपूर्ण होते हैं पढ़ें खास रोचक तत्व

शिक्षक हमारे जीवन के अस्तित्व का आधार हैं। क्योंकि शिक्षक ही हमें सफलता की और लेके जाते है और साथ ही आवश्यक ज्ञान और कौशल प्रदान करते हैं, किसी भी व्यक्ति की सफलता उसके गुरु की शिक्षा और मार्गदर्शन पर निर्भर करता है। इसके अलावा वे हर एक स्टूडेंट्स को एक अच्छा नागरिक भी बनाने में मदद करते हैं। शिक्षक विद्यार्थी को हर प्रकार के रूप से बेहतरीन बनाते हैं और जीवन में हमेशा अच्छा करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। एक शिक्षक हमेशा विद्यार्थियों को बिना किसी स्वार्थ के ज्ञान देने का प्रयास करते हैं. इन मशहूर शिक्षक के सम्मान में उनका जन्मदिन भारत में शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है। 1962 से भारत सरकार ने सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी के जन्मदिवस पर नेशनल टीचर्स डे मनाने की बहुमूल्य घोषणा की थी। शिक्षक दिवस के अवसर पर सभी विद्यालयों में शिक्षकों के लिए सम्मान समारोह आयोजित किया जाता है शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ठ प्रदर्शन करने वालें शिक्षकों को पुरुस्कृत किया जाता है। छात्र अपने पसंदीदा शिक्षक को ग्रीटिंग कार्ड व उपहार देकर धन्यवाद व्यक्त करते हैं,इसके अलावा उनके मनोरंजन के लिए कविताएं, संगीत और नृत्य भी पेश करते हैं

डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म कब और कहाँ हुई?

बचपन से किताबें पढने के शौकीन राधाकृष्णन का जन्म तमिलनाडु के तिरुतनी गॉव में 5 सितंबर 1888 को हुआ था। साधारण परिवार में जन्में राधाकृष्णन का बचपन तिरूतनी एवं तिरूपति जैसे धार्मिक स्थलों पर बीता । वह शुरू से ही पढाई-लिखाई में काफी रूचि रखते थे, उनकी प्राम्भिक शिक्षा क्रिश्चियन मिशनरी संस्था लुथर्न मिशन स्कूल में हुई और आगे की पढाई मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज में पूरी हुई।

स्कूल के दिनों में ही डॉक्टर राधाकृष्णन ने बाइबिल के महत्त्वपूर्ण अंश कंठस्थ कर लिए थे , जिसके लिए उन्हें विशिष्ट योग्यता का सम्मान दिया गया था। साथ ही डॉ राधाकृष्णन भारत के प्रथम उपराष्ट्रपति और दूसरे (1962- 1967) राष्ट्रपति थे। मद्रास के प्रेसीडेंसी कॉलेज से अध्यापन का कार्य शुरू करने वाले राधाकृष्णन आगे चलकर मैसूर विश्वविद्यालय में प्रोफेसर हुए और फिर देश के कई विश्वविद्यालयों में शिक्षण कार्य किया। 1939 से लेकर 1948 तक वह बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बी. एच. यू.) के कुलपति भी रहे। वे एक दर्शनशास्त्री, भारतीय संस्कृति के संवाहक और आस्थावान हिंदू विचारक थे।

इन मशहूर शिक्षक के सम्मान में उनका जन्मदिन भारत में शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है। वहीं सर्वपल्ली जी की मृत्यु 86 वर्ष की आयु में 17 अप्रैल को 1975 में हुई थी। शिक्षा जगत में सर्वपल्ली जी का नाम सदैव सर्वप्रथम लिया जाएगा।

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