नई दिल्ली: सोमवार को उमेश पाल हत्याकांड के एक आरोपी को यूपी पुलिस ने मार गिराया है। मारे गए आरोपी की नाम अरबाज है। बता दें कि मृतक आरोपित अरबाज उमेश पाल की हत्या के समय उस गाड़ी को चला रहा था। जिसमें बैठकर आरोपितों ने उमेश पाल की हत्या की थी। पुलिस मौके से फरार हुए बाकी आरोपियों को तलाश रही है। बता दें कि, प्रयागराज में शुक्रवार को उमेश पाल और उसके गनर की बदमाशों ने गोली मारकर हत्या कर दी। उमेश पाल बसपा के तत्कालीन विधायक राजूपाल हत्याकांड में गवाह थे। उमेश के गाड़ी से उतरते ही बदमाशों ने उन पर फायरिंग और बमबारी कर दी थी। इस दौरान उनकी और उनके गनर की गोली लगने से मौत हो गई थी।
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कौन थे राजूपाल? जिनकी हत्या की पैरवी करने पर उमेशपाल का किया मर्डर
साल 2005 में जनवरी के महीने में बसपा विधायक राजू पाल की प्रयागराज (इलाहाबाद) में हत्या की गई थी। बसपा विधायक राजू पाल दोपहर 3 बजे के करीब क्वालिस गाड़ी से कहीं जा रहे थे, तभी अज्ञात बदमाशों ने उनकी गाड़ी के सामने आकर अंधाधुंध फायरिंग कर दी थी। मिली जानकारी के मुताबिक, बदमाशों ने तब तक राजू पाल पर गोलियां चलाईं, जब तक वह बेसुध होकर सीट पर गिर नहीं गए।
किसने कराई थी राजूपाल की हत्या?
बता दें कि राजूपाल की हत्या अतीक अहमद ने कराई थी। अतीक अहमद रजिस्टर्ड माफिया और आईएस 227 गैंग का सरगना हैं। अतीक अहमद के खिलाफ 97 आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं। इन दिनों वह गुजरात के अहमदाबाद के साबरमती जेल में बंद है।
उमेशपाल और राजूपाल में क्या था संबंध?
मिली जानकारी के मुताबिक, उमेश पाल राजू पाल के तब से दोस्त थे। जब वह सक्रिय जीवन और राजनीति में नहीं थे। राजू पाल और उनकी पत्नी पूजा पाल से उमेश पाल की रिश्तेदारी और घरेलू ताल्लुकात थे। रोज घर पर आना-जाना और साथ खाना-पीना होता था। बचपन की यह यारी उमेश पाल ने आखिरी सांस तक निभाई।
राजूपाल के हत्यारों को सजा दिलाने की ठानी थी उमेशपाल ने
उमेशपाल ने राजूपाल के कातिलों को सजा दिलाने की ठान रखी थी। वह राजू की पत्नी पूजा पाल के साथ लगातार हाई कोर्ट से सुप्रीम कोर्ट तक पैरवी करते रहे। पूजा पाल की पैरवी पर ही सुप्रीम कोर्ट ने राजू पाल हत्याकांड की जांच सीबीआइ के हवाले की थी और जब उसकी चार्जशीट लग गई तो उमेश पाल जल्द सुनवाई के लिए हाई कोर्ट में पैरवी करने लगे। पैरवी से जुड़े एक मुकदमे की पैरवी के बाद ही जिला न्यायालय से घर के लिए रवाना हुए थे। घर के बाहर ही उनके लिए शूटरों ने मौत का घेरा डाल रखा था।
उमेश पाल की पैरवी पर दो महीने बाद राजूपाल के हत्यारों को हो सकती थी उम्रकैद
उमेश पाल की पैरवी का ही नतीजा है कि जनवरी में हाई कोर्ट ने दो महीने में राजू पाल हत्याकांड का ट्रायल पूरा करने के लिए आदेश दिया। अतीक ने इस आदेश के विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दी तो उमेश पाल पिछले हफ्ते सुप्रीम कोर्ट में भी सुनवाई के दौरान विरोध करने के लिए पहुंचे थे। आखिरकार यही आदेश जारी हुआ कि दो महीने में ट्रायल पूरा किया जाए। यानी जो मुकदमा 18 साल से लंबित था, उसमें दो महीने बाद निर्णय आने की पूरी संभावना थी। उमेशपाल के मुताबिक, राजू पाल के कातिलों को सजा होनी पक्की थी। उमेश पाल बेहद आशांवित थे कि अतीक और उसके बेटे अशरफ को उम्रकैद होगी। ऐसा माना जा रहा है कि राजू पाल के लिए उमेश ने अपनी जान दे दी।
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