बागेश्वर: सुंदरधुंगा ग्लेशियर क्षेत्र में स्वयंभू बाबा द्वारा निर्मित मंदिर: कानूनी और पर्यावरणीय निहितार्थों की जांच

16 Jul, 2024
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बागेश्वर, उत्तराखंड: बागेश्वर के सुंदरधुंगा ग्लेशियर क्षेत्र में लगभग 4,500 मीटर की ऊंचाई पर स्थित ‘देवी कुंड’ में सरकारी जमीन पर एक स्वयंभू बाबा द्वारा कथित अतिक्रमण का मामला सामने आने के बाद, राजस्व और वन विभाग के अधिकारियों ने संयुक्त जांच शुरू कर दी है।

जटिल कानूनी पहलू:

यह मामला कई जटिल कानूनी पहलुओं को उजागर करता है:

  • वन भूमि का अतिक्रमण: वन संरक्षण अधिनियम, 1972 के तहत वन भूमि पर किसी भी प्रकार का निर्माण अवैध माना जाता है।
  • धार्मिक स्थलों का संरक्षण: धार्मिक स्थलों का संरक्षण अधिनियम, 1951 धार्मिक स्थलों के संरक्षण और प्रबंधन के लिए प्रावधान करता है।
  • भूमि अधिकार: भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 1894 सरकार को सार्वजनिक हित के लिए भूमि अधिग्रहित करने का अधिकार देता है।

पर्यावरणीय चिंताएं:

इसके अलावा, इस निर्माण के पर्यावरणीय प्रभावों पर भी गहन चिंताएं हैं:

  • पर्यावरणीय रूप से संवेदनशील क्षेत्र: सुंदरधुंगा ग्लेशियर एक पर्यावरणीय रूप से संवेदनशील क्षेत्र है, और इस तरह के निर्माण से नाजुक पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान हो सकता है।
  • जल संसाधनों का प्रदूषण: निर्माण गतिविधियों से आसपास के जल स्रोतों का प्रदूषण हो सकता है।
  • वनस्पतियों और जीवों को खतरा: निर्माण से क्षेत्र में निवास करने वाली वनस्पतियों और जीवों को खतरा हो सकता है।

अधिकारियों की प्रतिक्रिया:

राजस्व विभाग के अधिकारी संजय सिंह ने कहा कि टीम मौसम की स्थिति के आधार पर देवी कुंड तक पहुंचने में कम से कम 2-3 दिन लेगी। उन्होंने कहा, “एसडीएम ने हमें पुलिस और वन विभाग के साथ वहां जाने और क्षेत्र का निरीक्षण करने के लिए कहा है। हम आगे की कार्रवाई के लिए निरीक्षण रिपोर्ट एसडीएम के साथ साझा करेंगे।”

निष्कर्ष:

यह मामला केवल एक अवैध निर्माण से परे है। यह कानूनी, पर्यावरणीय और सामाजिक न्याय के जटिल मुद्दों को उजागर करता है। अधिकारियों को सभी पहलुओं पर गहन विचार करने और न्यायसंगत समाधान निकालने के लिए सावधानीपूर्वक जांच करनी होगी।

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