यूपी (उत्तर प्रदेश) मदरसा बोर्ड को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने यह निर्णय लिया है कि यूपी मदरसा बोर्ड को विभिन्न मामलों में छूट दी जाए। इसका मतलब है कि यूपी मदरसा बोर्ड को अब एक ही परीक्षा बोर्ड के रूप में चलने की अनुमति दी गई है।
यह निर्णय मदरसा शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे विभिन्न आवश्यकताओं को पूरा करने में मदद मिलेगी। यह निर्णय उत्तर प्रदेश में मदरसा शिक्षा के स्तर को बढ़ावा देगा और छात्रों को और अधिक समान अवसर प्रदान करेगा। इसके साथ ही, यह समाज में सामाजिक समानता को बढ़ावा देगा और विभिन्न समुदायों के छात्रों को एक ही आधार पर प्राप्त शिक्षा के अधिकार की सुनिश्चिति करेगा।
सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के 22 मार्च के आदेश को चुनौती देने वाली अपीलों पर नोटिस जारी किया है। सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की है कि हाई कोर्ट ने मदरसा एक्ट के प्रावधानों को समझने में भूल की है। अदालत का कहना है कि हाई कोर्ट के फैसले से यूपी के 17 लाख मदरसा छात्रों पर असर पड़ेगा। छात्रों को दूसरे स्कूल में स्थानांतरित करने का निर्देश देना उचित नहीं है। इस मामले में अब जुलाई के दूसरे हफ्ते में सुनवाई होगी।
गौरतलब है कि हाई कोर्ट के आदेश के बाद योगी सरकार ने प्रदेश के 16 हजार मदरसों की मान्यता रद कर दी थी। सरकार की तरफ से कहा गया है कि सिर्फ मानक पूरा करने वाले मदरसों को ही मान्यता मिलेगी। इसके लिए मदरसे यूपी बोर्ड, सीबीएसई या फिर आईसीएसई बोर्ड से मान्यता के लिए आवेदन कर सकते हैं। नई व्यवस्था में जो भी मदरसे मानकों को पूरा नहीं करेंगे, उन्हें मान्यता नहीं दी जाएगी और उनका संचालन बंद हो जाएगा। ऐसे मदरसों में पढ़ने वाले बच्चों का दाखिला सरकारी बेसिक या इंटरमीडिएट स्कूलों में कराया जाएगा। अब इस पूरी प्रक्रिया पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद रोक लग गई है।
सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणियां
- सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगाते हुए कहा है कि पहली नजर में लगता है कि हाई कोर्ट ने एक्ट गलत अर्थ में समझा है। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच ने कहा कि पहली नजर में लगता है कि इलाहबाद हाई कोर्ट ने एक्ट के प्रावधान को समझने में गलती की है। यह एक्ट रेग्युलेटरी नेचर का है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाई कोर्ट के आदेश से करीब 17 लाख स्टूडेंट प्रभावित हो रहे थे।
- सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाई कोर्ट ने इस एक्ट को खारिज करते हुए पहली नजर में एक्ट के प्रावधान को गलत अर्थ में समझा है। जो एक्ट है वह कोई धार्मिक निर्देश जारी नहीं करता है। जो एक्ट का मकसद है वह रेग्युलेटरी नेचर का है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाई कोर्ट को अगर इस बात की चिंता थी कि मदरसों के छात्रों को गुणवत्ता युक्त शिक्षा प्राप्त हो, तो समाधान मदरसा अधिनियम को खारिज करने में नहीं, बल्कि उन्हें गुणवत्ता युक्त शिक्षा सुनिश्चित करने के लिए उपयुक्त निर्देश जारी करने से होगा। राज्य के पास वैध लोकहित यह है कि वह सभी छात्रों को गुणवत्ता युक्त शिक्षा दिया जाना सुनिश्चित करे।
जुलाई के दूसरे हफ्ते में होगी सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट में हाई कोर्ट के फैसले को अंजुम कदरी, मैनेजर्स एसोसिएशन मदारिस अरबिया (यूपी), ऑल इंडिया टीचर्स एसोसिएशन मदारिस अरबिया (नई दिल्ली), मैनेजर एसोसिएशन अरबी मदरसा नई बाजार और टीचर्स एसोसिएशन मदारिस अरबिया कानपुर द्वारा दायर की गई थीं। अदालत ने इन याचिकाओं पर जुलाई के दूसरे हफ्ते में सुनवाई करेगा।