जबलपुर: मध्यप्रदेश के जबलपुर स्थित ऑर्डनेंस फैक्ट्री खमरिया में हुए भीषण ब्लास्ट में दो कर्मचारियों की मौत हो गई और 13 अन्य घायल हो गए हैं। मृतकों में एलेक्जेंडर टोप्पो और रणवीर कुमार शामिल हैं। एलेक्जेंडर टोप्पो की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि रणवीर कुमार ने निजी अस्पताल में दम तोड़ दिया। एलेक्जेंडर का शव 9 हिस्सों में मिला, जो हादसे की भयावहता को दर्शाता है। गंभीर रूप से घायल श्यामलाल ठाकुर और चंदन कुमार की हालत चिंताजनक बताई जा रही है, और उन्हें एयरलिफ्ट कर बड़े अस्पताल में शिफ्ट करने की योजना बनाई जा रही है।
हादसे का विवरण
यह हादसा कल सुबह करीब 10 बजे F6 सेक्शन के बिल्डिंग 200 में हुआ, जब रशियन पिकोरा बम को खाली करते समय धमाका हुआ। इस बम में करीब 25 से 30 किलो बारूद भरा हुआ था। धमाका इतना प्रचंड था कि F6 सेक्शन की बिल्डिंग के साथ-साथ 200 और 200-A बिल्डिंग भी धराशायी हो गईं। हादसे के वक्त दोनों बिल्डिंगों में 15 कर्मचारी मौजूद थे, जिनमें से 13 घायल हो गए। घायलों में उमेश मौर्य, प्रवीण दत्ता, कृष्ण पाल, एसके मंडल, रिपु कुमार, साइमन एंथोनी, गौतम कुमार, रामबिहारी, प्रदीप साहू, अभिषेक आनंद, और राहुल सिंह शामिल हैं।
जांच और कार्रवाई
घटना की गंभीरता को देखते हुए एक उच्च स्तरीय जांच कमेटी का गठन किया गया है। ऑर्डनेंस फैक्ट्री खमरिया के महाप्रबंधक आरके गुप्ता की अध्यक्षता में यह कमेटी हादसे के कारणों की जांच करेगी। इस हादसे के मद्देनजर म्युनिशन्स इंडिया लिमिटेड (MIL) के सीएमडी देवाशीष बनर्जी भी जबलपुर पहुंच रहे हैं, जहां वे अधिकारियों के साथ सुरक्षा और सतर्कता से संबंधित बैठक करेंगे।
यह घटना ऑर्डनेंस फैक्ट्री बोर्ड की कंपनी MIL के अधीन होती है, जो भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय के तहत काम करती है। प्रशासन द्वारा घायलों को सर्वोत्तम चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने और घटना के कारणों का पता लगाने के लिए त्वरित कार्रवाई की जा रही है।
ऑर्डनेंस फैक्ट्री खमरिया का महत्व
ऑर्डनेंस फैक्ट्री खमरिया (OFK), जबलपुर, भारत की प्रमुख रक्षा उत्पादन इकाइयों में से एक है, जो रक्षा सेवाओं के लिए गोला-बारूद निर्माण करती है। इसकी स्थापना 1943 में द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान मित्र देशों की सेनाओं की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए की गई थी।
फैक्ट्री 259 हेक्टेयर में फैली है, और इसका विस्फोटक डिपो 303 हेक्टेयर और एस्टेट 1430 हेक्टेयर का है। भारत की आजादी के बाद, इस फैक्ट्री ने सेना, नौसेना और वायुसेना के साथ-साथ अर्धसैनिक बलों की विभिन्न परिचालन आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए अपने उत्पादन की विविधता बढ़ाई।
1962 के चीन युद्ध और 1965 व 1971 के पाकिस्तान युद्धों के दौरान फैक्ट्री का विस्तार किया गया ताकि सैन्य आवश्यकताओं को समय पर पूरा किया जा सके। OFK वर्तमान में हार्डवेयर घटकों के निर्माण, विस्फोटक भराई, और गोला-बारूद संयोजन का काम करती है। यह शेल, फ्यूज प्राइमर और कार्टिज के लिए हार्डवेयर उत्पादन में विशेषज्ञता प्राप्त कर चुकी है।
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जबलपुर से सुनील सेन की रिपोर्ट