भारत-चीन व्यापार संबंधों का विस्तृत विश्लेषण: वित्त वर्ष 2024 में चीन भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार बन गया है, यह दर्शाता है कि दोनों देशों के बीच व्यापार संबंध कितने महत्वपूर्ण और जटिल हैं।
आइए इस बदलाव के पीछे के कारणों, इसके निहितार्थों और भारत सरकार द्वारा उठाए जा रहे कदमों पर गहराई से नज़र डालें:
बढ़ते व्यापार के कारण:
चीन से सस्ते इलेक्ट्रॉनिक्स, स्मार्टफोन, और अन्य सामानों का आयात बढ़ना: चीन भारत के लिए इलेक्ट्रॉनिक्स और अन्य सामानों का एक प्रमुख स्रोत बन गया है। सस्ती कीमतें और व्यापक उत्पाद विविधता भारतीय उपभोक्ताओं को आकर्षित करती हैं।
भारतीय कंपनियों द्वारा चीन में विनिर्माण का विस्तार: कई भारतीय कंपनियों ने उत्पादन लागत कम करने के लिए चीन में अपनी विनिर्माण सुविधाएं स्थापित की हैं। इससे चीन से भारत का आयात बढ़ा है।
वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान: वैश्विक महामारी और रूस-यूक्रेन युद्ध जैसे कारकों ने वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं को बाधित कर दिया है। नतीजतन, भारत चीन से आयात पर अधिक निर्भर हो गया है।
निहितार्थ:
व्यापार घाटा: भारत-चीन व्यापार घाटा चिंता का विषय बना हुआ है। वित्त वर्ष 2024 में, चीन से भारत का आयात भारत के निर्यात से काफी अधिक था।
आर्थिक निर्भरता: चीन पर भारत की बढ़ती निर्भरता रणनीतिक रूप से जोखिम भरा हो सकती है।
तकनीकी पिछड़ापन: चीन से सस्ते आयात भारतीय उद्योगों को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकते हैं, जिससे नवाचार और तकनीकी विकास में कमी आ सकती है।
सरकारी कदम:
आत्मनिर्भर भारत अभियान: भारत सरकार घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने और आयात पर अपनी निर्भरता कम करने के लिए “आत्मनिर्भर भारत” अभियान पर ज़ोर दे रही है।
विनिर्माण को बढ़ावा देना: सरकार ने इलेक्ट्रॉनिक्स, चिकित्सा उपकरणों और अन्य रणनीतिक क्षेत्रों में विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए कई नीतियां लागू की हैं।
आयात प्रतिस्थापन: सरकार कुछ वस्तुओं के आयात पर प्रतिबंध लगाकर या उच्च शुल्क लगाकर आयात प्रतिस्थापन को प्रोत्साहित कर रही है।
अन्य देशों के साथ व्यापार संबंधों को मजबूत करना: भारत सरकार अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया जैसे अन्य देशों के साथ अपने व्यापार संबंधों को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित कर रही है।
निष्कर्ष:
भारत-चीन व्यापार संबंध जटिल और गतिशील हैं। चीन भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार बन गया है, जिसके निश्चित रूप से फायदे और नुकसान दोनों हैं। भारत सरकार व्यापार घाटे को कम करने, अपनी आर्थिक निर्भरता को कम करने और घरेलू उद्योगों को मजबूत करने के लिए कदम उठा रही है।
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि भारत-चीन संबंध केवल व्यापार तक सीमित नहीं हैं। रक्षा, कूटनीति और अन्य क्षेत्रों में भी दोनों देशों के बीच महत्वपूर्ण संबंध हैं।
यह देखना बाकी है कि आने वाले वर्षों में भारत-चीन संबंध कैसे विकसित होंगे।
संदीप उपाध्याय