जलवायु परिवर्तन और हिमालय: गंभीर खतरा, तात्कालिक समाधान

26 Jun, 2024
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Kapkot: हिमालय, पृथ्वी का तीसरा सबसे ऊंचा पर्वत तंत्र, जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से बुरी तरह प्रभावित हो रहा है। ग्लेशियरों का तेजी से क्षरण, हिमपात में कमी, और जल संकट जैसी समस्याएं न केवल हिमालयी क्षेत्र के लिए बल्कि पूरे दक्षिण एशियाई क्षेत्र के लिए गंभीर खतरा पैदा करती हैं।

हिमालय पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव:

  • तापमान वृद्धि:
    • 1990 के दशक से हिमालय में तापमान में वृद्धि देखी गई है, जो वैश्विक औसत तापमान वृद्धि से अधिक है।
    • यह तापमान वृद्धि ग्लेशियरों के पिघलने और हिमपात में कमी का मुख्य कारण है।
  • हिमपात में कमी:
    • पिछले कुछ दशकों में हिमालयी क्षेत्र में हिमपात की मात्रा में काफी कमी आई है।
    • यह कमी न केवल जल संसाधनों को प्रभावित करती है, बल्कि कृषि और पर्यटन जैसे क्षेत्रों को भी नकारात्मक रूप से प्रभावित करती है।
  • ग्लेशियरों का क्षरण:
    • हिमालय में ग्लेशियरों का क्षरण एक चिंताजनक दर से हो रहा है।
    • वैज्ञानिकों का अनुमान है कि अगले कुछ दशकों में कई हिमालयी ग्लेशियर पूरी तरह से गायब हो सकते हैं।
  • जल संकट:
    • ग्लेशियरों के पिघलने से हिमालयी नदियों में जल प्रवाह कम हो रहा है, जिससे जल संकट गहरा रहा है।
    • यह समस्या दक्षिण एशियाई देशों के लिए विशेष रूप से गंभीर है, जो अपनी जल आवश्यकताओं के लिए बड़े पैमाने पर हिमालयी नदियों पर निर्भर हैं।
  • अन्य प्रभाव:
    • जलवायु परिवर्तन हिमालयी क्षेत्र में बाढ़, भूस्खलन और जंगल की आग जैसी प्राकृतिक आपदाओं की तीव्रता और आवृत्ति को भी बढ़ा रहा है।

संभावित समाधान:

  • ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कमी:
    • जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने के लिए ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में तत्काल और महत्वपूर्ण कमी आवश्यक है।
    • इसके लिए जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम करना और नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों का उपयोग बढ़ाना होगा।
  • जल संरक्षण:
    • जल संरक्षण के तरीकों को अपनाना होगा, जैसे कि वर्षा जल संचयन, कम पानी का उपयोग, और कुशल सिंचाई प्रणाली।
  • वनों की कटाई रोकना:
    • वृक्षारोपण और वन संरक्षण अभियान चलाकर वनों की कटाई को रोका जाना चाहिए।
    • वन कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने में मदद करते हैं।
  • अनुसंधान और विकास:
    • जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को समझने और उनसे निपटने के लिए अनुसंधान और विकास को बढ़ावा देना होगा।
    • इसमें जलवायु अनुकूलन रणनीति विकसित करना और जल संसाधनों का प्रबंधन करना शामिल है।
  • अंतर्राष्ट्रीय सहयोग:
    • जलवायु परिवर्तन एक वैश्विक समस्या है, और इसे हल करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग आवश्यक है।
    • विकसित देशों को विकासशील देशों को जलवायु परिवर्तन से निपटने में मदद करने के लिए वित्तीय और तकनीकी सहायता प्रदान करनी चाहिए।
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