देहरादून : उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने गंगा और शारदा नदियों के धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व पर जोर दिया और राज्य में धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए इन पवित्र नदियों के किनारे गलियारे विकसित करने की योजना की घोषणा की। मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) की एक आधिकारिक विज्ञप्ति के अनुसार, सीएम धामी ने कहा, “गंगा और शारदा नदियाँ न केवल हमारे जीवन का अभिन्न अंग हैं, बल्कि करोड़ों देशवासियों की आस्था का भी प्रतिनिधित्व करती हैं। हमारी डबल इंजन सरकार इन नदियों के किनारे गलियारे विकसित करने के लिए प्रतिबद्ध है, जिससे देश भर और विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए धार्मिक पर्यटन को और अधिक सुलभ और सुविधाजनक बनाया जा सके।”
प्रस्तावित नदी गलियारों का उद्देश्य बुनियादी ढांचे को बढ़ाना और उत्तराखंड आने वाले तीर्थयात्रियों के लिए बेहतर सुविधाएँ प्रदान करना है, जिससे राज्य की एक प्रमुख आध्यात्मिक गंतव्य के रूप में स्थिति मजबूत होगी। यह पहल उत्तराखंड की सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत को संरक्षित करते हुए पर्यटन को बढ़ावा देने के सरकार के व्यापक दृष्टिकोण के अनुरूप है। इससे पहले शुक्रवार को सीएम धामी ने वैज्ञानिक और आध्यात्मिक विचारों को आकार देने में प्राचीन भारतीय शास्त्रों की प्रासंगिकता को रेखांकित किया। हरिद्वार में पतंजलि विश्वविद्यालय में 62वें अखिल भारतीय शास्त्रोत्सव के समापन समारोह को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि वैदिक ज्ञान आधुनिक वैज्ञानिक प्रगति को प्रेरित करता रहता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारे शास्त्र जहां योग आसन, प्राणायाम और ध्यान के माध्यम से शरीर और मन को स्वस्थ रखने की शिक्षा देते हैं, वहीं अंकगणित, बीजगणित, ज्यामिति, व्याकरण, जीव विज्ञान, भौतिक विज्ञान, रसायन विज्ञान, चिकित्सा विज्ञान, खगोल विज्ञान आदि ऐसे गूढ़ रहस्यों से पर्दा उठाते हैं, जिन्हें देखकर आधुनिक गणितज्ञ और वैज्ञानिक भी आश्चर्यचकित हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि हमें आज की युवा पीढ़ी को यह बताने की जरूरत है कि
भारतीय गणितज्ञों ने शून्य और दशमलव जैसी अनूठी अवधारणाएं विकसित की थीं, जिन पर आज का पूरा आधुनिक विज्ञान आधारित है। आज की युवा पीढ़ी को ऐसे अनेक रहस्यों से अवगत कराने की आवश्यकता है, जिसके लिए शास्त्रोत्सव जैसे आयोजन महत्वपूर्ण साबित हो सकते हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कुशल नेतृत्व में आज भारतीय ज्ञान परम्परा एवं संस्कृति को पुनः वैश्विक स्तर पर सम्मान मिल रहा है। उनसे प्रेरणा लेते हुए राज्य सरकार भी प्रदेश में प्राचीन संस्कृति एवं ज्ञान के संरक्षण एवं संवर्धन की दिशा में निरंतर कार्य कर रही है। (एएनआई)