प्रयागराज। दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन महाकुंभ का 26 फरवरी को समापन हो चुका है।महाकुंभ ने न सिर्फ आध्यात्मिकता की नई ऊंचाइयों को छुआ,बल्कि अपनी दिव्यता से सबका मन मोह लिया। 45 दिनों तक चले महाकुंभ में 66 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने संगम में आस्था की डुबकी लगाकर इतिहास रच दिया है।आज तक दुनिया भर में किसी भी आयोजन में इतने बड़े मानव समागम का कोई इतिहास नहीं है। यह संख्या भारत की आबादी की लगभग 50 फीसदी है,जबकि दुनिया के कई देशों की आबादी से कहीं ज्यादा है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने महाकुंभ की लगातार मॉनीटरिंग की।लखनऊ हो या गोरखपुर परस्पर महाकुंभ की व्यवस्थाओं पर पैनी नजर रखी। 45 दिनों में सीएम 10 बार महाकुम्भ में पहुंचकर जमीनी हकीकत को समझा और जरूरी दिशा निर्देश दिए।आवश्यकता पड़ने पर सीएम ने लखनऊ से भी अपने आला अधिकारियों को भेजकर स्थितियों का आंकलन किया।सीएम के दौरे की सबसे महत्वपूर्ण बात ये रही कि सभी अखाड़ों, दंडीबाड़ा,प्रयागवाल,खाकचौक का दौरा किया।इसके साथ ही सीएम साधु संतों से मिले और उनका सम्मान किया।
महाकुंभ में सभी 13 अखाड़ों की उपस्थिति रही,जिन्होंने तीनों अमृत स्नान में पुण्य डुबकी लगाकर परंपरा का निर्वहन किया। इन 13 अखाड़ों के साथ इनके अनुगामी अखाड़े भी सम्मिलित हुए,जिसमें जूना अखाड़े का अनुगामी अखाड़ा किन्नर अखाड़ा आकर्षण का केंद्र रहा।इन अखाड़ों ने महाकुंभ की परंपरा के अनुसार दीक्षा कार्यक्रमों का सफलतापूर्वक संचालन संपन्न किया।विभिन्न अखाड़ों ने महामंडलेश्वर समेत अन्य पदों पर नियुक्तियां भी कीं।
महाकुंभ को इस बार भव्य और दिव्य बनाने के लिए सीएम योगी ने कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। 4000 हेक्टेयर में महाकुम्भ नगर को बसाया गया। पूरे मेला क्षेत्र को 25 सेक्टर में बांटा गया,12 किलोमीटर में कई पक्के घाटों का निर्माण किया गया,1850 हेक्टेयर में पार्किंग निर्मित की गई, जबकि 31 पांटून पुल, 67 हजार से ज्यादा स्ट्रीट लाइट्स, 1.5 लाख शौचालय और 25 हजार पब्लिक एकमोडेशन सुनिश्चित किए गए,7 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा की राशि खर्च की गई, जबकि केंद्र सरकार के सहयोग से कुल 15 हजार करोड़ रुपए से प्रयागराज का कायाकल्प किया गया।