रूड़की: इस वर्ष दीपावली पर्व की तिथि को लेकर लोगों में काफी असमंजस की स्थिति बनी हुई है। कुछ लोग 31 अक्टूबर को दीपावली मनाने की तैयारी कर रहे हैं, जबकि कुछ लोग 1 नवंबर को। इस भ्रम की स्थिति का कारण इस वर्ष कार्तिक अमावस्या का दो दिन पड़ना है।
पुरोहित महासभा अध्यक्ष ज्योतिषाचार्य आचार्य रजनीश शास्त्री ने बताया कि सनातन धर्म में दीपावली का पर्व पूरे संसार में हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है। इस वर्ष दीपावली की तिथि को लेकर भ्रम की स्थिति इसलिए उत्पन्न हुई है क्योंकि कार्तिक अमावस्या 31 अक्टूबर को दिन में साढ़े तीन बजे के बाद शुरू हो रही है और 1 नवंबर को शाम छह बजे के बाद समाप्त हो रही है।
शास्त्रों के अनुसार, यदि अमावस्या तिथि दो दिन रहती है और प्रदोष काल में अगले दिन व्याप्त होती है, तो दीपावली उसी दिन मनाई जानी चाहिए। आचार्य रजनीश शास्त्री ने बताया कि इस बार 1 नवंबर को स्वाति नक्षत्र और उदयातिथि भी है, इसलिए लक्ष्मी पूजन और दीपावली 1 नवंबर को ही मनाना उचित होगा।
व्यापारी और आम जनता इस असमंजस की स्थिति में पुरोहितों और ज्योतिषाचार्यों की सलाह का पालन कर सकते हैं। इस प्रकार, दीपावली का पर्व 1 नवंबर को मनाना शास्त्र सम्मत और उचित होगा।
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