सरकार और विभाग का एक दूसरे के साथ तालमेल सबसे महत्वपूर्ण है। क्योंकि लोग जो कुछ पढ़ते और सुनते हैं, उस पर विश्वास करते हैं, इसलिए कथन विरोधाभासी नहीं होना चाहिए.
देहरादून : देव भूमि कहा जाने वाला उत्तराखंड दुनियाभर में तीर्थ स्थलों के लिए प्रसिद्ध है. यहां ही संस्कृति में कई विविधताएं दिखाई देती हैं जो कि लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती हैं. उत्तराखंड में कई महत्वपूर्ण लोक पर्व हैं और इनमें से एक है ‘हरेला’ उत्तराखंड में सावन की शुरुआत हरेला पर्व से मानी जाती है. इस पर्व का विशेष महत्व होता है. उत्तराखंड के प्रत्येक वासी के लिए यह दिन बेहद खास होता है और यहां इस दिन से ही सावन की शुरुआत मानी जाती है. कहा जाता है कि उत्तराखंड में देवों के देव महादेव का वास है और इसलिए हरेला का महत्व और भी बढ़ जाता है.
उत्तराखंड सरकार का हरेला पर्व के अवसर पर पौधरोपण का लक्ष्य
वन मंत्री सुबोध उनियाल ने हरेला पर्व की बधाई देते हुए इस पर्व को सांस्कृतिक धरोहर बताया। उन्होंने कहा पौधारोपण एवं प्रकृति के संरक्षण से ही हम शुद्ध हवा शुद्ध जल एवं अन्य प्राकृतिक लाभ ले सकते हैं। एक जागरूक नागरिक के तौर पर हमने अपने भविष्य को संवारना होगा एवं पर्यावरण संरक्षण पर विशेष ध्यान देना होगा । पौधों के संरक्षण एवं प्रकृति कि स्वच्छता का कार्य प्रत्येक नागरिक की जिम्मेदारी है। उन्होंने युवाओं से विशेष आग्रह करते हुए पौधारोपण एवं स्वच्छता कार्यक्रमों पर ज्यादा से ज्यादा अपना सहयोग देने की बात कही । उन्होंने कहा कि हरेला पर्व पर प्रदेश में 15 लाख वृक्ष लगाए जायेंगे। जिनमें 50 प्रतिशत फलदार पौधे होंगे।
हरेला पर्व पर विभाग का लक्ष्य
विभाग और उत्तराखंड सरकार में वृक्षारोपण लक्ष्य की मात्रा में भारी अंतर है। लक्ष्य जो भी हो,वृक्षारोपण के लक्ष्य को प्राप्त करना पर्यावरण और सभी के लिए एक उपहार के समान होगा, अतः वृक्षारोपण और पौधरोपण के लिए किए गए श्रम को सफल बनाया जाए।
महेश मिश्र:- कानूनी पत्रकार एवं अधिवक्ता