नई दिल्ली: चुनावी बांड योजना की अदालत की निगरानी में जांच की मांग करने वाली जनहित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट 22 जुलाई को सुनवाई करेगा। यह जानकारी शुक्रवार को मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने दी।
याचिका में क्या आरोप:
- दो गैर-सरकारी संगठनों (NGOs) – कॉमन कॉज और सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन (सीपीआईएल) ने अपनी याचिका में राजनीतिक दलों, निगमों और जांच एजेंसियों के बीच “स्पष्ट लेन-देन” का आरोप लगाया है।
- याचिका में चुनावी बांड योजना को “घोटाला” करार दिया गया है।
- याचिका में अधिकारियों को “शेल कंपनियों और घाटे में चल रही कंपनियों” के वित्तपोषण के स्रोत की जांच करने का निर्देश देने की मांग की गई है।
- याचिका में यह भी मांग की गई है कि कंपनियों द्वारा “अपराध की आय” से किए गए दान की वसूली की जाए।
पृष्ठभूमि:
- पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने 15 फरवरी को भाजपा सरकार द्वारा शुरू की गई गुमनाम राजनीतिक फंडिंग की चुनावी बॉन्ड योजना को रद्द कर दिया था।
- शीर्ष अदालत के फैसले के बाद, इस योजना के तहत अधिकृत वित्तीय संस्थान भारतीय स्टेट बैंक ने डेटा को चुनाव आयोग के साथ साझा किया था, जिसने बाद में इसे सार्वजनिक कर दिया।
- चुनावी बॉन्ड योजना को 2 जनवरी, 2018 को अधिसूचित किया गया था।
आगे क्या होगा:
- 22 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट याचिका पर सुनवाई करेगा और फैसला सुनाएगा।
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