लखनऊ: मध्यांचल विद्युत निगम ने पिछले माह पांच किलोवाट से ऊपर के कनेक्शन के लिए मीटर रीडिंग का नियम क्या बदला, लेसा में करीब 20 हजार उपभोक्ताओं की मीटर रीडिंग फंस गई है. विभागीय इंजीनियरों के मुताबिक कंपनी के पास पर्याप्त कर्मचारी नहीं हैं. इससे समय पर उपभोक्ताओं के मीटर की एमआरआई रीडिंग नहीं हो पाई है.
मध्यांचल निगम ने मीटर में छेड़छाड़ करने की आशंका को रोकने के लिए नया नियम बनाया है. अब पांच किलोवाट से ऊपर के सभी उपभोक्ताओं पर मीटर रीडिंग इंस्ट्रूमेंट (एमआरआई) के जरिए नजर रखी जाएगी. पहले यह व्यवस्था 10 किलोवाट और अधिक वाले उपभोक्ताओं के लिए थी. मीटर रीडिंग की मैनुअल और एमआरआई व्यवस्था के लिए अलग-अलग कंपनियां हैं. एमआरआई कनेक्शन बढ़ने से कर्मियों की कमी हो रही है. वहीं इंदिरानगर सेक्टर-25, विकासनगर सहित अन्य उपकेंद्रों में उपभोक्ताओं की शिकायत पर जेई, एसडीओ, एक्सईएन फील्ड कर्मचारियों से रीडिंग करवा रहे हैं.
क्या होता है एमआरआई इसमें वाईफाई से लैस मशीन के जरिए मीटर की स्कैनिंग होती है. इस मीटर में कब क्या क्या किया गया है, उसकी पूरी रिपोर्ट आ जाती है. कभी छेड़छाड़ की कोशिश पर उसकी डिटेल एमआरआई में सामने आ जाएगी. इसकी रिपोर्ट ऑनलाइन फीड हो जाती है.
इस्माइलगंज निवासी एसके श्रीवास्तव का पांच किलोवाट का कनेक्शन है. में मीटर रीडिंग के लिए कर्मचारी नहीं आया तो उन्होंने उपकेंद्र पर फोन किया. तब पता चला कि एमआरआई रीडिंग होगी. एसडीओ ने कर्मचारी भेजकर मीटर रीडिंग कराई, जिसके बाद बिल भुगतान किया.
इंदिरानगर ए-ब्लॉक निवासी विनय कुमार के यहां पांच किलोवाट का कनेक्शन है. चार को कोई कर्मचारी मीटर रीडिंग लेकर गया लेकिन शाम तक बिल जनरेट नहीं हुआ. बिजली बिल गड़बड़ाने के डर से उन्होंने अफसरों से गुहार लगाई तो किसी तरह मीटर रीडिंग हो पाई.
शुरुआती चरण में कंपनी को थोड़ी दिक्कत हो रही है. रीडिंग नहीं हुई है तो फील्ड कर्मचारियों को भेज कर बिल बनाया जा रहा है. आशीष अस्थाना, मुख्य अभियंता, ट्रांसगोमती-द्वितीय