गुलाम नबी आजाद ने किया नई पार्टी का एलान, ‘डेमोक्रेटिक आजाद पार्टी’ रखा नाम

26 Sep, 2022
Deepa Rawat
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गुलाम नबी आजाद ने कहा कि उनकी नई पार्टी के लिए लगभग 1,500 नाम उर्दू, संस्कृत में भेजे गए थे। हिन्दी और उर्दू का मिश्रण ‘हिन्दुस्तानी’ है। वे चाहते हैं कि नाम लोकतांत्रिक, शांतिपूर्ण और स्वतंत्र हो।

नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद ने नई पार्टी का एलान कर दिया है। उनकी पार्टी का नाम ‘डेमोक्रेटिक आजाद पार्टी’ है। जम्मू में प्रेसवार्ता कर उन्होंने नाम की घोषणा की। आजाद ने पिछले महीने कांग्रेस से अपना पांच दशक से अधिक पुराना नाता तोड़ दिया था। वे तीन दिवसीय दौरे पर रविवार को जम्मू आए हैं। 

उन्होंने कहा कि पार्टी की विचारधारा उनके नाम की तरह होगी और इसमें सभी धर्मनिरपेक्ष लोग शामिल हो सकते हैं। वह पार्टी का एजेंडा भी पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं। इसमें जम्मू-कश्मीर का पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करना, भूमि व नौकरियों के अधिकार स्थानीय लोगों के लिए सुरक्षित करने के लिए संघर्ष जारी रखना आदि शामिल है।

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मार्च 2022 में गुलाम नबी आजाद को पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से पद्मभूषण मिला। 1973 में गुलाम नबी आजाद ने डोडा जिले के भलेसा ब्लॉक कांग्रेस कमेटी के सचिव के रूप में राजनीति की शुरुआत की थी। इसके बाद उनकी सक्रियता और शैली को देखते हुए कांग्रेस ने उन्हें युवा कांग्रेस का अध्यक्ष चुना।

उन्होंने महाराष्ट्र से 1980 में पहला संसदीय चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की। 1982 में उन्हें केंद्रीय मंत्री के रूप में कैबिनेट में शामिल किया गया। डॉ. मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली दूसरी यूपीए सरकार में आजाद ने देश के स्वास्थ्य मंत्री का पदभार संभाला था।

इस दौरान उन्होंने राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन का विस्तार किया। साथ ही झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले शहरी गरीबों की सेवा के लिए एक राष्ट्रीय शहरी स्वास्थ्य मिशन भी शुरू किया। आजाद ने कई महत्वपूर्ण मंत्रालय संभाले हैं। नरसिंह राव की सरकार में संसदीय कार्य और नागरिक उड्डयन मंत्री भी रहे। 

2005 में बने जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री

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गुलाम नबी आजाद के राजनीतिक जीवन में 2005 में वह स्वर्णिम समय भी आया जब उन्होंने बतौर मुख्यमंत्री जम्मू-कश्मीर की सेवा की। आजाद के जम्मू-कश्मीर प्रदेश कांग्रेस समिति के अध्यक्ष रहते हुए कांग्रेस ने विधानसभा चुनावों में 21 सीटों पर जीत का परचम लहराया था। इसके परिणाम स्वरूप कांग्रेस प्रदेश की दूसरी सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी बनकर उभरी थी। 2008 में अमरनाथ भूमि आंदोलन के चलते उन्हें पद से इस्तीफा देना पड़ा था। 

सियासी सफर

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  • 2008: भद्रवाह से जम्मू-कश्मीर विधानसभा के लिए निर्वाचित हुए। दया कृष्ण को 29936 मतों के अंतर से हराया
  • 2009: चौथे कार्यकाल के लिए राज्यसभा के लिए चुने गए और बाद में केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री के रूप में नियुक्ति मिली
  • 2014: राज्यसभा में विपक्ष के नेता रहे
  • 2015: पांचवीं बार राज्यसभा के लिए फिर से चुने गए 
  • 1980: गुलाम नबी आजाद जम्मू-कश्मीर राज्य की यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष बनाए गए
  • 1982: गुलाम नबी आजाद विधि मंत्रालय में उप मंत्री के पद पर चुने गए
  • 1984: आठवीं लोकसभा के लिए भी चुने गए
  • 1985-89: केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्रालय में उप मंत्री रहे
  • 1990-1996: आजाद राज्यसभा के सदस्य रहे

Edited By Deshhit News

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