बिलासपुर, छत्तीसगढ़: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में आबकारी विभाग के प्रधान आरक्षक कुंजराम ध्रुव को 30 वर्ष की सेवा के बाद मिलने वाले तृतीय समयमान वेतनमान और बकाया राशि का भुगतान करने का आदेश दिया है। यह फैसला राज्य सरकार के वित्त विभाग के स्पष्ट दिशानिर्देशों के बावजूद उन्हें वेतनमान न दिए जाने के मामले में आया है।
क्या था मामला?
कुंजराम ध्रुव ने वर्ष 1989 में आबकारी आरक्षक के पद पर अपनी सेवा शुरू की थी और 2020 में उन्हें प्रधान आरक्षक के पद पर पदोन्नत किया गया था। 30 अप्रैल 2024 को सेवानिवृत्त होने पर उन्हें पता चला कि उन्हें 30 वर्ष की सेवा पूरी करने के बावजूद तृतीय समयमान वेतनमान नहीं मिला है।
हाईकोर्ट का फैसला
हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता के अधिवक्ता द्वारा पेश किए गए तथ्यों और राज्य सरकार के वित्त विभाग के सर्कुलर का गहन अध्ययन करने के बाद यह फैसला सुनाया। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि राज्य सरकार के नियमों के अनुसार, 30 वर्ष की सेवा पूरी करने वाले कर्मचारी तृतीय समयमान वेतनमान के हकदार होते हैं।
यह फैसला क्यों महत्वपूर्ण है?
- कर्मचारियों के अधिकारों की रक्षा: यह फैसला सरकारी कर्मचारियों के अधिकारों की रक्षा करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
- शासन के नियमों का पालन: यह फैसला यह सुनिश्चित करेगा कि सरकार अपने कर्मचारियों के साथ न्याय करे और शासन के नियमों का पालन करे।
- पारदर्शिता: यह फैसला प्रशासनिक पारदर्शिता को बढ़ावा देगा और भ्रष्टाचार को रोकने में मदद करेगा।
आगे का क्या होगा?
अब आबकारी विभाग को हाईकोर्ट के आदेश का पालन करते हुए कुंजराम ध्रुव को तृतीय समयमान वेतनमान और बकाया राशि का भुगतान करना होगा। यह फैसला अन्य सरकारी कर्मचारियों के लिए भी एक प्रेरणा का स्रोत होगा जो अपने अधिकारों के लिए लड़ रहे हैं।
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