केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने आज अपने लोकसभा संसदीय क्षेत्र गांधीनगर में गर्भवती महिलाओं के लिए पौष्टिक ‘लड्डू वितरण योजना’ का शुभारंभ किया। इस अवसर पर अमित शाह ने कहा कि आज जन्माष्टमी का पावन अवसर है और आज ही के दिन लगभग 5100 साल पहले भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था। उन्होंने कहा कि श्री कृष्ण का जन्म ऐसे समय में हुआ जब पूरे देश को ज़रूरत थी कि धर्म के आधार पर चलने के लिए कोई रास्ता दिखाए। भगवान श्रीकृष्ण का व्यक्तित्व बहुमुखी व बहुआयामी था , वे तत्वचिंतक थे, जिन्होंने गीता की रचना की और धर्म की स्थापना की। ये हम सब गुजरातवासियों के लिए गर्व का विषय है कि गुजरात श्रीकृष्ण की कर्मभूमि है।अमित शाह ने समस्त देशवासियों और दुनियाभर के लोगों को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की शुभकामनाएं दीं।
केन्द्रीय गृह मंत्री ने टोक्यो पैरालिम्पिक्स में पदक जीत कर दुनिया में भारत का नाम रौशन करने पर भारतीय खिलाड़ियों को बधाई दी।शाह ने कहा कि श्रीकृष्ण के बाल-गोपाल रूप को स्वस्थ बालकों में आदर्श माना जाता है और आज ही के दिन ये बहुत आनंदित करने वाला अवसर है कि आज से गांधीनगर क्षेत्र में लगभग सात हज़ार गर्भवती महिलाओं को कुपोषण से लड़ने के लिए स्वंयसेवी संस्थाओं के माध्यम से, जब तक बच्चे का जन्म नहीं हो जाता, तब तक हर माह 15 पौष्टिक लड्डू मुफ़्त मिलेंगे। उन्होंने कहा कि इस योजना में सरकार का एक भी पैसा नहीं लगेगा क्योंकि इसकी ज़िम्मेदारी स्वंयसेवी संस्थाओं ने उठाई है।
अमित शाह ने कहा कि आज़ादी का अमृत महोत्सव चल रहा है और वर्ष 2022 में अगस्त में जब अमृत महोत्सव होगा, तब देश के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने लक्ष्य रखा है कि देश की माता और बच्चा सुरक्षित रहें। प्रधानमंत्री जी ने कहा है कि ‘सही पोषण, देश रौशन’, किसी भी देश की कांति, किसी भी देश का प्रकाश, पोषित माता और पोषित बच्चों के बिना नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि जब तक बच्चे स्वस्थ ना हों, उन्हें जन्म देने वाली माता स्वस्थ ना हों, तब तक कोई भी देश आगे नहीं बढ़ सकता।
अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री जी ने 8 मार्च 2018 को राजस्थान के झुंझनु से पोषण अभियान की शुरूआत की थी और कुपोषण के मुद्दों को लेकर देशभर में जागरूकता फैलाने का काम किया। प्रधानमंत्री जी ने 8 मार्च 2018 को कुपोषण के ख़िलाफ़ जो लड़ाई की शुरूआत की थी, वो आज एक बहुत बड़ा आंदोलन बन गया है। उन्होंने कहा कि माताओं और बच्चों के पोषण का अभियान, जो प्रधानमंत्री जी ने शुरू किया है, वो रूकेगा नहीं।अमित शाह ने कहा कि गांधीनगर में एक भी माता कुपोषित ना रहे, एक भी बच्चा कुपोषित ना रहे, ये उनकी ज़िम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि गर्भावस्था के दौरान महिला को पोषण की सबसे ज़्यादा ज़रूरत होती है और इस लड्डू में प्रोटीन, घी, विटामिन, पोषक तत्व होते हैं और ये एक माह तक ख़राब नहीं होता।
केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि केन्द्र और राज्य सरकार ने बहुत सारी पोषण संबंधी व्यवस्थाएं शुरू की हैं। तीन वर्षों में लगभग साढ़े सात करोड़ गर्भवती महिलाओं और तीन करोड़ सत्तर लाख स्तनपान कराने वाली माताओं को फॉलिक एसिड सप्लीमेंट की 180 ख़ुराकें दी गईं, जिनसे इनका स्वास्थ्य सुरक्षित है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2016 में शुरू किए गए प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के अंतर्गत लगभग तीन करोड़ माताओं की प्रसवपूर्व जांच होती है। उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने कई कार्यक्रम शुरू किए हैं। लगभग 8.6 लाख स्मार्टफ़ोन ख़रीद कर आंगनवाड़ी और आशा कार्यकर्ताओं को दिए गए हैं। कुपोषण से संबंधित मुद्दों के समाधान के लिए 18 मंत्रालयों ने मिलकर पोषण अभियान का प्रचार-प्रसार करने के लिए एक समूह बनाकर एक सामूहिक अभियान चलाया है।
अमित शाह ने उपस्थित पंचायतों के सरपंचों से अनुरोध किया कि योजनाओं की पात्रता वाला कोई भी व्यक्ति इनके फ़ायदे से वंचित ना रह जाए, इसकी ज़िम्मेदारी हम सब चुने हुए प्रतिनिधियों की है। उन्होंने कहा कि इन्फ्रास्ट्रक्चर के कार्य बहुत महत्वपूर्ण हैं और वो होते रहेंगे, लेकिन लोकतंत्र में सबसे महत्वपूर्ण है निर्बल, ग़रीबों, पिछड़ों और महिलाओं का सशक्तिकरण, बच्चों को उनका अधिकार देना, और अगर ये सब हम सफलतापूर्वक दे पाते हैं तभी हम चुने हुए प्रतिनिधि के रूप में अपने दायित्व का शत-प्रतिशत निर्वहन कर सकेंगे।
केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि सारी योजनाओं पर अमल ज़रूरी है लेकिन व्यक्ति ही अगर निर्बल, कुपोषित और ग़रीब रह जाता है तो सारी सुविधाओं का कोई अर्थ नही है, क्योंकि जनतंत्र और लोकतंत्र में सबसे पहले व्यक्ति ही सबसे छोटी इकाई है।