नई दिल्ली: तुर्की और सीरिया में अब तक 5000 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं, 16000 से ज्यादा लोगों के घायल होने की खबर सामने आई है। भूकंप से तुर्की और सीरिया में 5600 इमारतें जमींदोज हो चुकी है। मंगलवार सुबह भी तुर्की में 5.9 की तीव्रता का भूकंप आया। इससे पहले सोमवार को 7.8 तीव्रता का भूकंप आया था। जानकारी के लिए बता दें, तुर्की में 1,708 भारतीय रहते हैं। वहीं, 193 छात्र तुर्की में पढ़ाई कर रहे हैं। पिछले साल जून में 27,300 भारतीय तुर्की घूमने के लिए गए थे।
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भारत और तुर्की का कारोबारी संबंध
भारत की ओर से तुर्की को मीडियम ऑयल और ईंधन, कृत्रिम रेशे, प्राकृतिक रेशे, ऑटोमोटिव कल-पुर्जे, साजोसामान और ऑर्गेनिक कैमिकल दिया जाता है। जबकि, तुर्की से भारत को खसखस, मशीनर, इंजीनियरिंग उपकरण, लोहे और स्टील की चीजें, अकार्बनिक रसायन, मोती, जवाहरात और संगमरमर मिलता है। मिनिस्ट्री ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के आंकड़ों के मुताबिक, 2021-22 में भारत और तुर्की के बीच करीब 80 हजार करोड़ रुपये का कारोबार हुआ था। इसमें से 65 हजार करोड़ का निर्यात और 15 हजार करोड़ का आयात हुआ था।
तुर्की और भारत का है पुराना रिश्ता
भारत और तुर्की के बीच 1948 से डिप्लोमैटिक रिलेशन हैं। हालांकि, कोल्ड वॉर के समय दोनों देशों में थोड़ी दूरी बढ़ गई थी। 1965 और 1971 की जंग के वक्त तुर्की ने पाकिस्तान की सैन्य मदद की थी। इससे दूरियां और बढ़ गईं। 1984 में राजीव गांधी के प्रधानमंत्री बनने के बाद भारत और तुर्की में फिर से नजदीकियां बढ़ गईं। हालांकि, भारत और तुर्की के रिश्ते बेहद उतार-चढ़ाव भरे रहे हैं, खासकर कश्मीर के मुद्दे पर। तीन साल पहले पाकिस्तानी संसद में तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयब एर्दोगान ने कहा था, कश्मीर पाकिस्तान के लिए जितना अहम है, उतना ही तुर्की के लिए भी है संयुक्त राष्ट्र में भी तुर्की कई बार कश्मीर का मुद्दा उठा चुका है। 5 अगस्त 2019 को जब कश्मीर से धारा 370 हटाई गई थी, तब तुर्की ने बयान जारी कर कहा था कि भारत का ये कदम मौजूदा तनाव को और बढ़ा सकता है।
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