भ्रष्टाचार विरोधी अभियान से वर्ष 2014 के लोकसभा का चुनाव जीतने वाली मोदी सरकार ने भ्रष्टाचार के विरोध अभियान चला, जनता के सामने प्रमुख मुद्दों में से एक था। पार्टी ने वादा किया था कि वह भ्रष्टाचारियों पर सख्त कानूनी कार्रवाई कर जेल भेजे देश को भ्रष्टाचार मुक्त बनाएगी।
चुनाव जीतने के बाद,भाजपा ने उन वादों को पूरा नहीं कर सकी। वोट बैंक बढ़ाने के लिए पार्टी ने कई ऐसे कई विवादास्पद नेताओं को अपने दल में शामिल कर लिया, जो भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना कर रहे थे। इनमें हाल में शामिल किए गए “अशोक चव्हाण” भी शामिल हैं,जो आदर्श घोटाले में आरोपी हैं।
2017 में, मोदी सरकार ने राजनीतिक दलों को आरटीआई और एफसीआरए के दायरे से बाहर निकालने के लिए वित्त अधिनियम में संशोधन किया। इस संशोधन ने राजनीतिक दलों को “चुनावी बांड” के माध्यम से गुप्त दान प्राप्त करने की अनुमति दी।
यह संशोधन विवादास्पद था, और कई लोगों ने इसे भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने वाला बताया। 2023 में, सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बांड योजना को असंवैधानिक घोषित कर दिया।
सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला एक बड़ी जीत है, और यह दर्शाता है कि लोकतंत्र में न्यायपालिका एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
मुख्य बिंदु:
भाजपा ने 2014 के चुनाव में भ्रष्टाचार विरोधी अभियान चलाया, लेकिन चुनाव जीतने के बाद उन वादों को पूरा नहीं किया।
भाजपा ने कई भ्रष्टाचार के आरोपियों को अपने दल में शामिल कर लिया।
मोदी सरकार ने 2017 में वित्त अधिनियम में संशोधन किया, जिससे राजनीतिक दलों को “आरटीआई और एफसीआरए” के दायरे से बाहर निकाल दिया गया।
सुप्रीम कोर्ट ने 2023 में “चुनावी बांड” योजना को असंवैधानिक घोषित कर दिया।
कोर्ट ने चुनावी बांड द्वारा प्राप्त फंड के विषय पर बैंक को जानकारी देने को कहा हैं।
उपरोक्त समाचार से दिए गए तथ्य का अवलोकन कर पाठक स्वः विवेक से समझ सकतें हैं की, वर्तमान सरकार के भ्रष्टाचार “विरोधी अभियान” की सार्थकता सिर्फ़ विरोधी राजनैतिक दलों के नेता एवम् उनके समर्थकों द्वारा एकत्रित काले धान को जनता के सामने उजागर कर जनता के सामने स्वयं को श्रेष्ठ करने का प्रयास सा प्रतीत होता हैं।
निष्कर्ष:
भ्रष्टाचार के आरोप में घिरे नेताओं को भाजपा में शामिल कर पार्टी को भ्रष्टचार विरोधी सिद्ध करने की सार्थकता सिद्ध होती सी प्रतीत नज़र नहीं आती हैं। आने वालें लोकसभा चुनाव में भाजपा के लिए सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय भ्रष्टचार पर भाजपा का चरित्र उजगार कर, अन्य राजनैतिक दलों के लिए एक सबक सा होगा।
संदीप उपाध्याय
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