विश्वविद्यालयों की पात्रता मानदंडों को छोड़कर छात्रों के दाखिले में 12वीं कक्षा में प्राप्त अंकों का कोई असर नहीं पड़ेगा. एम. जगदीश कुमार ने प्रेसवार्ता के दौरान कहा कि वर्ष 2022-23 शैक्षणिक वर्ष से राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी स्नातक और परास्नातक पाठ्यक्रम के लिए सीयूईटी का आयोजन करेगी
नईदिल्ली: विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के चेयरमैन एम. जगदीश ने सोमवार को कहा कि छात्रों का केंद्रीय विश्वविद्यालयों को स्नातक पाठ्यक्रमों में छात्रों के दाखिले के लिए विश्वविद्यालय संयुक्त प्रवेश परीक्षा कॉमन एंट्रेंस टेस्ट (सीयूईटी) में प्राप्त अंकों का उपयोग करना होगा. इस नए एग्जाम के पैटर्न में छात्रों को मल्टीपल च्वाइस क्वेश्चन का जवाब देना पड़ेगा और यह टेस्ट कंप्यूटर बेस्ड होगा. आगे उन्होंने कहा कि ये एग्जाम जुलाई के पहले सप्ताह में सीयूईटी का आयोजन किया जाएगा.
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अब विश्वविद्यालयों की पात्रता मानदंडों को छोड़कर छात्रों के दाखिले में 12वीं कक्षा में प्राप्त अंकों का कोई असर नहीं पड़ेगा. एम. जगदीश कुमार ने प्रेसवार्ता के दौरान कहा कि वर्ष 2022-23 शैक्षणिक वर्ष से राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी स्नातक और परास्नातक पाठ्यक्रम के लिए सीयूईटी का आयोजन करेगी. सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों को अपने पाठ्यक्रमों में दाखिला देने के लिए सीयूईटी में प्राप्त अंकों पर विचार करना होगा.
आपको बताते चलें कि दिल्ली विश्वविद्यालय में अभी तक विद्यार्थियों को 12 वीं कक्षा की मार्कशीट के टॉप चार विषय के नंबरों के आधार पर दाखिला दिया जाता था. लेकिन अब ऐसा नहीं होगा क्योंकि यूजीसी के नियम बदलने के साथ यूनिवर्सिटी को भी उसी दिशा की ओर चलना होगा जो यूजीसी उसे दिशानिर्देश देगा.
दिल्ली विश्वविद्यालय के दो टॉप कॉलेज सेंट स्टीफन और जीसस एंड मैरी कॉलेज जैसे कई अल्पसंख्यक संस्थान भी हैं जो सीयूसीईटी के नियमों का पालन करने को राजी हैं. लेकिन इस तरह के कॉलेजों के अपने खुद के मानदंड होते हैं, जिनका वे अपनी सहूलियत के अनुसार पालन करते हैं.
शुरूआती दिशानिर्देश अकादमिक परिषद के उस एजेंडे का हिस्सा हैं, जिसकी बैठक 22 मार्च 2022 को निर्धारित की गई है. हालांकि इन दिशानिर्देशों को अभी अंतिम रूप दिया जाना बाकी है. जिन्हें राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी के साथ की गई एक बैठक के दौरान तैयार किया गया था. आपको बता दें कि एनटीए पूरे देश में क्षेत्रीय व राष्ट्रीय स्तर पर कई पाठ्यक्रमों की प्रवेश परीक्षा का आयोजन करवाती है.
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के चेयरमैन एम. जगदीश कुमार ने कहा कि छात्रों के पास अंग्रेजी, हिंदी, असमी, बंगाली, गुजराती, कन्नड़, मलयालम, मराठी, ओडिया, पंजाबी, तमिल, तेलुगु और उर्दू का विकल्प रहेगा. साथ ही यूजीसी अध्यक्ष ने कहा कि सीयूईटी का विश्वविद्यालयों की आरक्षण नीति पर कोई प्रभाव नहीं होगा. उन्होंने आगे कहा कि सीयूईटी के बाद किसी भी केंद्रीय काउंसलिंग का आयोजन नहीं होगा.