जबलपुर: भगवान काल भैरव की प्रतिमा के साथ हुई असंवेदनशील हरकत ने लोगों की धार्मिक भावनाओं को गहराई से आहत किया है। ग्वारीघाट इलाके में स्थित श्री प्राचीन काल भैरव सिद्धपीठ की प्रतिमा का एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें एक युवक भगवान काल भैरव की प्रतिमा के मुख में सिगरेट लगाते और यह दावा करते हुए दिख रहा है कि भगवान सिगरेट पी रहे हैं। इस घटना ने न केवल श्रद्धालुओं को गुस्से से भर दिया है, बल्कि आस्था और धार्मिक मूल्यों के साथ खिलवाड़ पर भी गंभीर सवाल उठाए हैं।
धार्मिक स्थल को अपमानित करने की कोशिश:
36 सेकंड के इस वीडियो में शरारती युवक भक्तों से अपील कर रहा है कि वे भगवान काल भैरव को सिगरेट अर्पित करें और अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति करें। इस कृत्य को अंधविश्वास और धार्मिक अपमान का एक शर्मनाक उदाहरण बताया जा रहा है। वीडियो ग्वारीघाट के बादशाह हलवाई मंदिर के पास स्थित काल भैरव मंदिर का है। स्थानीय लोगों और श्रद्धालुओं का कहना है कि ऐसा कृत्य जानबूझकर धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाने और प्रसिद्धि पाने के लिए किया गया है।
पुलिस की त्वरित कार्रवाई:
जैसे ही वीडियो वायरल हुआ, जबलपुर पुलिस ने मामले की गंभीरता को समझते हुए त्वरित कार्रवाई शुरू की। एडिशनल एसपी आनंद कलादगी ने बताया कि घटना की जांच के लिए एक विशेष टीम गठित की गई है। प्राथमिक जांच में सामने आया है कि यह वीडियो आकाश गोस्वामी नामक युवक ने सोशल मीडिया पर पोस्ट किया है। पुलिस ने युवक की पहचान कर उसके खिलाफ कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
धार्मिक आस्था का अपमान या प्रचार की लालसा?
इस घटना ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या सोशल मीडिया पर प्रसिद्धि पाने की होड़ में लोग धार्मिक आस्था और मर्यादाओं को भूलते जा रहे हैं? जहां एक ओर यह कृत्य आस्था का मजाक उड़ाने जैसा प्रतीत होता है, वहीं दूसरी ओर इसे अंधविश्वास फैलाने की कोशिश भी माना जा रहा है। श्रद्धालुओं का कहना है कि धार्मिक स्थलों का उपयोग इस प्रकार की हरकतों के लिए करना किसी भी हाल में स्वीकार्य नहीं है।
आवश्यक सख्त कार्रवाई:
पुलिस प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि इस तरह की घटनाओं को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। जांच के बाद दोषी युवक के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी ताकि भविष्य में कोई ऐसी हरकत करने की हिम्मत न कर सके। यह घटना धार्मिक स्थलों की गरिमा बनाए रखने और सोशल मीडिया पर जिम्मेदार व्यवहार अपनाने की आवश्यकता पर भी जोर देती है।
श्रद्धालुओं और प्रशासन की अपील है कि धर्म और आस्था के नाम पर इस प्रकार के अनुचित कृत्यों को न बढ़ावा दें और समाज में सकारात्मकता बनाए रखने में सहयोग करें।
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