रांची: झारखंड उच्च न्यायालय ने राज्य में आदिवासियों के धर्मांतरण के बढ़ते मामलों पर गंभीर संज्ञान लिया है। न्यायालय ने राज्य सरकार और केंद्र सरकार से इस मुद्दे पर विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। विशेष रूप से, न्यायालय ने उन जिलों की रिपोर्ट मांगी है जहां आदिवासियों का धर्मांतरण चंगाई सभाओं के माध्यम से बड़े पैमाने पर हो रहा है।
न्यायालय ने दोनों सरकारों से 27 अगस्त तक जवाब दाखिल करने को कहा है। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता रोहित रंजन सिन्हा ने दलील दी कि सरकार को इस मामले में जांच समिति का गठन करना चाहिए। उन्होंने कहा कि आदिवासियों को बहला-फुसलाकर दूसरे धर्मों में धर्मांतरित किया जा रहा है और इसे रोकने के लिए कड़े कदम उठाने की आवश्यकता है।
आदिवासी कल्याण की आवाज:
आदिवासियों के कल्याण के लिए काम करने वाली सामाजिक कार्यकर्ता सोमा उरांव ने इस मामले में जनहित याचिका दायर की थी। उन्होंने आरोप लगाया है कि चंगाई सभाओं के नाम पर आदिवासियों को धर्मांतरित किया जा रहा है और उनकी सांस्कृतिक पहचान खत्म की जा रही है।
सरकारों को निर्देश:
उच्च न्यायालय ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए सरकारों को निर्देश दिया है कि वे धर्मांतरण रोकने के लिए प्रभावी कदम उठाएं। न्यायालय ने जमशेदपुर के सामाजिक कार्यकर्ता डेनियल दानिश द्वारा दायर एक अन्य याचिका में भी सरकार को बांग्लादेशी घुसपैठ और संथाल परगना की बदलती जनसांख्यिकी की जांच करने के निर्देश दिए हैं।
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