हरिद्वार: उत्तराखंड के पवित्र शहर हरिद्वार में चल रही कांवड़ यात्रा के दौरान एक विवादित घटना सामने आई है। कांवड़ यात्रा मार्ग पर स्थित मस्जिदों और एक मजार को सफेद कपड़े की चादरों से ढक दिया गया था। हालांकि, स्थानीय लोगों और राजनेताओं के विरोध के बाद शाम को इन चादरों को हटा दिया गया।
ज्वालापुर क्षेत्र में स्थित दो मस्जिदों और एक मजार के सामने बांस के मचान पर चादरें लटका दी गईं थीं। प्रशासन का तर्क था कि यह शांति बनाए रखने के लिए किया गया था। लेकिन, स्थानीय मुस्लिम समुदाय और विपक्षी दलों ने इस कदम की कड़ी आलोचना की।
विवाद के प्रमुख बिंदु:
- प्रशासन का तर्क: प्रशासन का कहना था कि यह कदम केवल शांति बनाए रखने के लिए उठाया गया था।
- स्थानीय लोगों का विरोध: स्थानीय मुस्लिम समुदाय और राजनेताओं ने इस कदम का विरोध किया और इसे धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाला बताया।
- सुप्रीम कोर्ट का आदेश: विपक्षी दलों ने दावा किया कि यह कदम सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश का उल्लंघन है जिसमें मार्ग पर होटल और रेस्तरां मालिकों को अपनी धार्मिक पहचान प्रदर्शित करने के लिए कहा गया था।
- राजनीतिक रंग: इस घटना को राजनीतिक रंग दिया जा रहा है। विपक्षी दल भाजपा सरकार पर धार्मिक विभाजन फैलाने का आरोप लगा रहे हैं।
स्थानीय लोगों और राजनेताओं की प्रतिक्रिया:
- स्थानीय मुस्लिम समुदाय ने कहा कि उन्हें इस संबंध में किसी प्रशासनिक आदेश की जानकारी नहीं थी और दावा किया कि यात्रा के दौरान ऐसा पहली बार किया गया है।
- कांग्रेस नेता नईम कुरैशी ने कहा कि यह हरिद्वार में हिंदुओं और मुसलमानों के बीच सद्भाव का एक उदाहरण है और यहां पर्दे लगाने की परंपरा कभी नहीं रही।
- उत्तराखंड कांग्रेस के उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने दावा किया कि यह “सुप्रीम कोर्ट की अवमानना” है।
निष्कर्ष:
हरिद्वार में कांवड़ यात्रा के दौरान मस्जिदों को ढकने की घटना ने धार्मिक सद्भाव पर सवाल उठाए हैं। यह घटना एक बार फिर से सांप्रदायिक सौहार्द को बनाए रखने की चुनौतियों को उजागर करती है।