आतंकियों ने एक कश्मीर पंडित पूरन कृष्ण भट को गोली मार दी। घायल पूरन कृष्ण भट को पास के अस्पताल में इलाज चल रहा था, लेकिन इस दौरान उसकी मौत हो गई पूरन कृष्ण भट पर दक्षिण कश्मीर जिले के चौधरी गुंड इलाके में उनके आवास के नजदीक हमला किया गया था।
जम्मू-कश्मीर: जम्मू-कश्मीर के शोपियां जिले में आतंकियों ने एक बार फिर कश्मीरी पंडित पर निशाना साधते हुए हत्या कर दी है। आतंकियों ने एक कश्मीर पंडित पूरन कृष्ण भट को गोली मार दी। घायल पूरन कृष्ण भट को पास के अस्पताल में इलाज चल रहा था, लेकिन इस दौरान उसकी मौत हो गई पूरन कृष्ण भट पर दक्षिण कश्मीर जिले के चौधरी गुंड इलाके में उनके आवास के नजदीक हमला किया गया था। उस वक्त वे एक बाग की ओर जा रहे थे। बहराल सुरक्षा बलों ने पूरे इलाके की घेराबंदी कर दी है और आतंकवादियों को पकड़ने के लिए तलाशी अभियान चलाया जा रहा है। हालांकि अब तक किसी आतंकी संगठन ने इसकी जिम्मेदारी नहीं ली है, इसलिए पुलिस को भी इसके बारे में जानकारी नहीं है कि किस संगठन ने टारगेट किलिंग को अंजाम दिया।
ये भी पढ़े: आज गृहमंत्री अमितशाह का हिमाचल दौरा, रैली को करेंगे संबोधित
क्या होता है टारगेट किलिंग?
भारत समेत विश्व भर में टारगेट किलिंग का शिकार आम लोगों को बनाया जाता रहा है। कभी धर्म के नाम पर तो कभी नश्ल के नाम पर टारगेट किलिंग की जाती रही है। हालांकि, अब भी कई देशों के भीतर टारगेट किलिंग विवाद का विषय बनी हुई है। इस पर किसी देश ने अब तक कठोर कानून नहीं बनाए हैं, जिससे टारगेट किलिंग पर अंकुश लगाया जा सके। हालांकि, टारगेट किलिंग शब्द का इस्तेमाल 20वीं सदी से होती रहा है। टारगेट किलिंग के द्वारा किसी को सॉफ्ट टारगेट कर उसके बारे में तमाम जानकारियां जुटाई जाती है। उन्हें यह बात अच्छी तरह से पता होता है कि कब, कहां और किस तरह घटना को अंजाम देना है।
2022 में इतने लोग हुए टारगेट किलिंग का शिकार
2022 में कशमीर में अब तक 28 लोगों की हत्याएं हो चुकी हैं। आतंकियों की टारगेट किलिंग का शिकार बने लोगों में कश्मीरी पंडितों के अलावा सुरक्षाकर्मी और मुस्लिम समुदाय के लोग भी शामिल हैं। ज्यादातर हिंदू समुदाय के लोग मारे गए हैं। सात पुलिसकर्मी आतंकियों का निशाना बने हैं। राजस्थान की एक बैंक मैनेजर और बिहार के तीन मजदूर भी मृतकों में शामिल हैं।
कश्मीर में टारगेट किलिंग का क्या है कारण
घाटी के अल्पसंख्यकों की माने तो आतंकी संगठन यह बिल्कुल नहीं चाहते है कि केंद्र सरकार की किसी योजना को घाटी में आसानी से लागू किया जाए क्योंकि कश्मीर के लिए केंद्र सरकार की जो योजनाएं वहां पलायन कर चुके लोगों को वापस से राज्य में बसाने के लिए भी है। इसके अलावा केंद्र सरकार अलपसंख्यकों को रोजगार दिलाने की व्यवस्था कर रही है। वहीं, वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि केंद्र सरकार की योजनाओं से कश्मीर में रोजगार पाने वाले युवाओं की वजह से सारा खतरनाक खेल खत्म हो रहा है। पहले घाटी में आतंकवादियों द्वारा बेरोजगार लोगों को निशाना बनाकर अपने मकसद के लिए इस्तेमाल करते थे। केंद्र सरकार की योजनाओं ने आतंकियों पर अंकुश लगा दिया है, जिससे वह लोगों को सॉफ्ट टारगेट कर घटना को अंजाम दे रहे हैं।
Edited by deshhit news