छठ पूजा हर साल बहुत ही धूम धाम से मनाई जाती है। इस वर्ष इसका आरम्भ 30 अक्टूबर दिन रविवार से होगा और यह लगभग 4 दिनों तक चलता है और इन चार दिनों में महिलाएं 36 घंटे का उपवास रखती है और इसी के साथ साथ वह अपनी संतान और अपने परिवार की मंगलकामना के लिए पूजा करती हैं।
नई दिल्ली: छठ पूजा का आगमन हो चूका है और यह त्यौहार बिहारियों के लिए बड़ी हर्षौल्लास वाला पर्व भी कहलाया जाता है, यह त्योहार मुख्य रूप से पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार में मनाया जाने वाला त्योहर है। इस चार दिन में महिलाएं नाक से मांग तक खास सिंदूर लगाती हैं जिसके पीछे बहुत सी मान्यता बताई जाती है। तो आइए जानते है क्या है इसके पीछे का कारण

इसलिए लगाती है व्रती महिलाएं नाक से सिंदूर
हिंदू धर्म में सिंदूर सुहाग का प्रतीक होता है. वैसे तो पति की लंबी आयु के लिए महिलाएं मांग में सिंदूर लगाती हैं, लेकिन छठ पूजा के दिन नाक से लेकर मांग तक सिंदूर लगाने की प्रथा है. इस दिन महिलाएं पति की लंबी आयु की कामना के लिए मांग में नारंगी सिंदूर लगाती हैं. मान्यता है कि लंबा सिंदूर पति के लिए शुभ होता है. यह भी मान्यता है कि लंबा सिंदूर परिवार में सुख संपन्नता का भी प्रतीक है और इस दिन लंबा सिंदूर लगाने से घर परिवार में खुशहाली आती है.

माना जाता है कि इस दिन अगर कोई महिला नाक से सिर तक लंबा सिंदूर लगाए तो उसकी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और पति दिर्घायु होता है. इस दिन सूर्यदेव की पूजा के साथ महिलाएं अपने पति और संतान के सुख, शांति और लंबी आयु की कामना करते हुए अर्घ्य देकर अपने व्रत को पूर्ण करती हैं.
नारंगी सिंदूर का महत्व

शास्त्रों में ये की मान्यता है कि हनुमान जी को चढ़ने वाला सिंदूर अर्थात नारंगी सिंदूर मांग में निरंतर धारण करने वाली सुहागन परमधाम को प्राप्त होती हैं, उनको एक भी दिन विधवा होकर इस धरा धाम पर नहीं जीना पड़ता.
जानें कैसे लगाएं सिंदूर

इस दिन सुहागिन महिलाएं सुबह स्नान कर सबसे पहले सिंदूर लगाती हैं. माना जाता है कि यह सिंदूर माथे से लेकर जितना लंबा होगा, उनके पति की आयु भी उतनी ही लंबी होगी. बिना नहाए कभी भी सिंदूर नहीं लगाना चाहिए. हमेशा नाक की सीध में ही सिंदूर लगाएं. कभी भी गिरा हुआ सिंदूर ना लगाएं. दूसरे का सिंदूर कभी नहीं लगाना चाहिए.
Edited By Deshhit News