नई दिल्ली: आज यानि 1 मई को पूरा देश मजदूर दिवस मना रहा है। बीते 132 साल से ये दिन श्रमिकों के लिए मनाया जाता है। इस दिन को ‘कामगार दिवस’, ‘कामगार दिन’ और ‘अंतरराष्ट्रीय श्रमिक दिवस’ के रूप में भी जाना जाता है। इस दिवस को मनाने का उद्देश्य लोगों को श्रमिकों और उनकी समस्याओं के प्रति जागरूक करना है। इस दिवस की शुरुआत अमेरिका में 135 साल पहले हुई थी।
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साल 1877 में मजदूरों ने अपने काम के घंटे तय करने की मांग को लेकर एक आंदोलन की करी थी शुरुआत
आपको बता दें, आज भी अगर आपके दफ्तरों में आपके काम के घंटे तय हैं तो इसके पीछे भी मजदूर आंदोलन ही जिम्मेदार हैं। इतिहास गवाह है कि आज ही के दिन दुनिया भर के मजदूरों के अनिश्चित काम के घंटों को 8 घंटे में बदला गया था। दरअसल, साल 1877 में मजदूरों ने अपने काम के घंटे तय करने की अपनी मांग को लेकर एक आंदोलन शुरू किया। जिसके बाद एक मई 1886 को पूरे अमेरिका में लाखों मजदूरों ने एकजुट होकर इस मुद्दे को लेकर हड़ताल की। इस हड़ताल में लगभग 11 हजार फैक्ट्रियों के 3 लाख 80 हजार मजदूर शामिल हुए। कहा जाता है कि इस हड़ताल के दौरान शिकागो की हेय मार्केट में बम ब्लास्ट हुआ। जिससे निपटने के लिए पुलिस ने मजदूरों पर गोली चला दी जिसमें सात मजदूरों की की मौत हो गई।
प्रस्ताव के पास होते ही अमेरिका में सिर्फ 8 घंटे काम करने की दे दी गई इजाजत
इस हड़ताल के बाद साल 1889 में पेरिस में आयोजित एक अंतरराष्ट्रीय महासभा की दूसरी बैठक में फ्रेंच क्रांति को ध्यान में रखते हुए एक प्रस्ताव पास किया। इस प्रस्ताव में अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस मनाए जाने की बात स्वीकार की गई। इस प्रस्ताव के पास होते ही अमेरिका में सिर्फ 8 घंटे काम करने की इजाजत दे दी गई।
भारत में 1 मई 1923 को हुई थी मजदूर दिवस की शुरआत
भारत में लेबर किसान पार्टी ऑफ हिन्दुस्तान ने 1 मई 1923 को मद्रास में इसकी शुरुआत की थी। उस समय इस को मद्रास दिवस के तौर पर मनाया जाता था। भारत समेत लगभग 80 मुल्कों में यह दिवस पहली मई को मनाया जाता है। इस दिन देश के अस्सी देशों में छुट्टी रहती है।हालांकि, अमेरिका में राष्ट्रीय मजदूर दिवस सितंबर महीने के पहले सोमवार को मनाया जाता है।