Kota Rajasthan: प्लास्टिक ड्रम की नाव से स्कूल का सफर: बूंदी के बच्चों की जान पर बन आई

28 Jul, 2024
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कोटा। राजस्थान के बूंदी जिले के बरुंधन गांव और बैरवा बस्ती के बीच बहने वाली घोड़ा पछाड़ नदी ने ग्रामीण बच्चों की शिक्षा को एक खतरनाक मोड़ पर ला खड़ा किया है। पुल के अभाव में, बच्चों को स्कूल जाने के लिए प्लास्टिक ड्रम की नाव का सहारा लेना पड़ रहा है, जो उनकी जान को जोखिम में डाल रहा है।

Kota Rajasthan: नेता , जनप्रतिनिधि के दावें अलग होते हैं और जमीनी हकीकत कुछ ओर, इसकी सच्चाई हम आपको दिखा रहे हैं इन तस्वीरों के जरिए, जो रोंगटे खड़े कर देती है। मौत के रास्ते से गुजर कर राजस्थान के बूंदी जिले में बच्चे शिक्षा पा रहे हैं और एक, दो बच्चे नहीं 300 ग्रामीण बच्चें है।
बूंदी जिले बरुंधन गांव और गांव की बैरवा बस्ती से जुड़ा मुद्दा हैं। गांव और बस्ती के बीच घोड़ा पछाड़ नदी बह रही है। यहां पुल का निर्माण हो रहा है लेकिन पुल अभी अनकंप्लीट है।


पुलिया के अभाव में बस्ती के लोग बरुंधन गांव जाने के लिए एक नाव का सहारा लेते थे। लेकिन अभी हाल ही जून में हुई बारिश के दौरान नदी में आए उफान में नाव डूब गई और बह गई। बस्ती के लोगों ने सरकार प्रशासन जनप्रतिनिधियों से डिमांड की डूबी नाव के बदले कोई वैकल्पिक साधन उन्हें दे दे ताकि बच्चे स्कूल चले जाए।

बस्ती के लोग गांव आ जाए चले जाए। जब तक झूला पुल नहीं बन जाता। लेकिन बैरवा बस्ती में रहने वाले परिवारों की किसी ने कोई पीड़ा नहीं सुनी। आखिरकार प्लास्टिक के ड्रम का एक जुगाड़ नाव बनाया गया। एक लोहे का तार बांधा। अब उसके सहारे जो बच्चे 22 दिन तक जुलाई महीने में पढ़ाई के लिए स्कूल नहीं जा पाए, क्योंकि जाने का कोई साधन नहीं था। बीच में नदी को पार करने का कोई साधन नहीं था। ऐसे में मां-बाप ने प्लास्टिक के ड्रम इकट्ठे करके उन पर एक प्लाई बोर्ड लगाकर, नाव का जुगाड़ किया। और उसके सहारे बस्ती के लोग अपने जिगर के टुकड़ों को मौत के रास्ते झोंक कर जुगाड़ की ड्रम की नाव में बिठाकर नदी पार करवाते हुए स्कूल भेजते हैं। खुद बरुंधन गांव आते-जाते हैं। ऐसे में कभी भी कोई भी बड़ा हादसा इन बच्चों के साथ हो सकता है। लेकिन उन जिम्मेदार लोगों की निगाहें इस और नहीं जा रही है।

जो बस्ती के लोग उनसे वैकल्पिक साधन नदी पार करने के लिए मांग रहे हैं। गांव वालों की पीड़ा इन तस्वीर से देखिए की सरकार प्रशासन में बैठे लोग क्या चाहते हैं, कि कोई हादसा हो और उसके बाद जांच कमेटियां बने, तब जाकर पुलिया का निर्माण अधूरा पड़ा हुआ है उसे पूरा किया जाए या फिर इन्हें कोई मोटर बोट उपलब्ध करवाई जाए जिससे यह नदी पार कर सके।


शिक्षा मंत्री मदन दिलावर का जिला कोटा भी नजदीक में है। लेकिन उसके बावजूद भी बूंदी जिले के इस गांव की बस्ती के बच्चे इस तरह जान जोखिम में डालकर हर रोज स्कूल आ जा रहे हैं। ऐसे में किसी भी दिन यहां पर बड़ा हादसा हो सकता है। बच्चों की जान आफत में पड़ सकती है। 300 बच्चे बैरवा बस्ती के रोज अपनी जान दांव पर लगाकर मौत के रास्ते से स्कूल पहुंच रहे हैं और अपने भविष्य को संवारने के लिए सब कुछ न्योछावर कर रहे हैं। जिसकी सच्चाई यह तस्वीर दिखा रही।

छोटे बड़े मासूम बच्चे तमाम उम्र के बच्चे और महिलाएं बुजुर्ग हर कोई इसी तरह घोड़ा पछाड़ नदी को रोजाना जुगाड़ की ड्रम की नाव से पार कर रहे हैं। उम्मीद करते हैं कि क्षेत्र जनप्रतिनिधि, सरकार के मंत्री, मुख्यमंत्री इस और ध्यान देंगे। इस गांव की जो अधूरी पड़ी पुलिया है उसका जल्द निर्माण हो, उसके पहले स्कूल जाने के लिए सरकार इन बच्चों को मोटर बोट और लाइफ जैकेट उपलब्ध कराए ताकि सुरक्षित बच्चे अपनी शिक्षा दीक्षा पा सकें।

Tags : #बूंदी #शिक्षा #ग्रामीणबच्चे #प्लास्टिकनाव #सरकार से गुहार

Reporter :Jaspreet Singh

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