श्रावण माह में हरिद्वार के राजा दक्ष मंदिर में आते है, ‘भगवान शिव’,जानिए क्या है इतिहास

24 Jul, 2021
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हरिद्वार: एकादशी के दिन से श्रीहरि विष्णु चार माह के लिए योगनिंद्रा में सो जाते हैं।अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार इस बार चातुर्मास का प्रारंभ 20 जुलाई 2021 से हुआ और श्रावण मास का प्रारंभ 25 जुलाई 2021 रविवार से शुरू होगा ।श्रीहरि विष्णु के योगनिंद्रा में सो जाने पर भगवान शंकर ही सृष्टि का संचालन करते हैं।
चार माह के लिए भगवान विष्णु में सो जाते हैं और इस दौरान भगवान शंकर के हाथों में सृष्टि का संचालन उत्तरदायित्व रहता है। इस अवधि में भगवान शंकर पृथ्वीलोक पर निवास करते हैं और चार माह तक संसार की गतिविधियों का संचालन करते हैं। भगवान शंकर का माह श्रावण माह ही चातुर्मास का प्रथम माह होता है।
वही जब भगवान शंकर चतुर्दशी के दिन सो जाएंगे।तो उस उस दिन को शिव श्यानोत्सव के नाम से जाना जाता है। तब वह अपने दूसरे रूप रुद्रावतार से सृष्टि का संचालन करते हैं। भगवान रुद्र की स्तुति ऋग्वेद में बलवानो में अधिक बलवान कहकर की गई है।
ऐसा माना जाता है कि भगवान शंकर माता पार्वती, गणेश ,कार्तिकेय, नंदी और आदि गणों के साथ आकर अपनी ससुराल (कनखल,हरिद्वार)में निवाश करते हैं।कनखल हरिद्वार का सबसे प्राचीन स्थान है। इसका उल्लेख पुराणों में मिलता है। यह स्थान हरिद्वार से लगभग 4 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यही पर राजा दक्ष का मंदिर भी हैं।

कनखल का इतिहास भगवान कृष्ण के युग और भगवान शिव से जुड़ा हुआ है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार कनखल ही वो जगह है जहां राजा दक्ष ने प्रसिद्ध यज्ञ किया और माता सती ने अपने पिता द्वारा भगवान शंकर का अपमान करने पर उस यज्ञ में खुद को दाह कर लिया था।माता सती के अग्निदाह के बाद भगवान शंकर के गण वीरभद्र ने राजा दक्ष का वध कर दिया था बाद में शिवजी ने उनके धड़ को पुनः सिर से जोड़ दिया था। इसी घटना की याद में यहां पर दक्षेश्वर मदिर भी बना हुआ है। परन्तु आज के समय में कनखल हरिद्वार का सबसे ज्यादा आबादी वाला क्षेत्र है। आज भी कनखल में बहुत सारे प्राचीन मंदिर बने हुए है। कनखनल हरिद्वार की प्राचीन धरोहर है। यह राजा दक्ष के राज्य की राजधानी थी। यहीं पर विश्व प्रसिद्ध गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय भी है।हरिद्वार को पंचपुरी भी कहा जाता है। पंचपुरी में मायादेवी मंदिर के आसपास के 5 छोटे नगर सम्मिलित है कनखल उनमें से ही एक है। कनखल में दक्ष महादेव मंदिर,सती कुंड,हरिहर आश्रम,श्रीयंत्र मंदिर,गंगा घाट और उनका मंदिर,रुईया धर्मशाला,दश महाविद्या मंदिर,शीतला माता मंदिर,ब्रम्हेश्वर महादेव मंदिर,और कनखल की संस्कृत पाठशालाएं कनखल की एतिहासिक धरोहर हैं।

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