9 अप्रैल 2024: आज हम हिंदी साहित्य के एक अग्रणी स्तंभ, महापंडित राहुल सांकृत्यायन की 131वीं जयंती मना रहे हैं। 1893 में उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में जन्मे राहुल सांकृत्यायन ने यात्रा वृतांत, विश्व-दर्शन, इतिहास, दर्शन, भाषा, राजनीति विज्ञान, और सामाजिक मुद्दों सहित विभिन्न विषयों पर अपनी अमिट छाप छोड़ी।
विस्तृत योगदान:
150 से अधिक पुस्तकों की रचना, जिनमें “हिमालय की गोद में”, “तिब्बत में दो वर्ष”, “वैज्ञानिक भौतिकवाद”, “दर्शन-दिग्दर्शन”, “मेरी जेल यात्रा” आदि प्रमुख हैं।
“त्रिपिटकाचार्य” की उपाधि से सम्मानित, जो उनकी बौद्ध धर्म और संस्कृति की गहन समझ को दर्शाता है।
हिंदी साहित्य में यात्रा वृतांत/यात्रा साहित्य को एक नयी दिशा प्रदान करने का श्रेय।
उनकी रचनाओं की विशेषताएं:
सरल भाषा में गहन ज्ञान और अनुभव का समावेश
वैज्ञानिक दृष्टिकोण और तर्कसंगत सोच
मानवतावाद और समाजवाद के आदर्शों का प्रतिपादन
विविध विषयों पर उनकी विद्वता और गहन अध्ययन
राहुल सांकृत्यायन का महत्व:
हिंदी साहित्य को समृद्ध बनाने में महत्वपूर्ण योगदान
भारतीय दर्शन और संस्कृति का विश्वव्यापी प्रचार
सामाजिक न्याय और समानता के लिए संघर्ष
युवाओं के लिए प्रेरणा और आदर्श
आज भी प्रासंगिक:
उनकी रचनाएं आज भी प्रेरणादायक और ज्ञानवर्धक हैं।
सामाजिक, राजनीतिक, और धार्मिक मुद्दों पर उनकी टिप्पणियां आज भी प्रासंगिक हैं।
उनका जीवन और कार्य हमें ज्ञान, अनुभव, और सामाजिक परिवर्तन के लिए प्रेरित करता है।