शहादत दिवस: अन्याय और अत्याचार के खिलाफ लड़ने वाली फूलन देवी को आज देश कर रहा नमन ट्विटर पर ट्रेड #फूलन_देवी_अमर_रहे

25 Jul, 2022
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लख़नऊ। सामंती मर्दवाद को चुनौती देने वाली सामाजिक न्याय एवं महिला उत्पीड़न के खिलाफ बुलन्द आवाज़ उठाने वाली   फूलन देवी की पुण्यतिथि पर पुरे देश भर में सोशल मिडिया  के द्वारा याद किया जा रहा है। आपको बतादे की 22  बलात्कारियों को मोत की सजा देने वाली और जुर्म के खिलाफ लड़ने वाली फूलन देवी का नाम इतिहास में दर्ज रहेगा। आज फूलन देवी के पुण्यतिथि पर देश याद कर रहा है .ऐसा साहस दिखाने वाली वीरांगना फूलन देवी के शहादत दिवस पर नेताओं ने उन्हें भावपूर्वक श्रद्धांजलि अर्पित की है।

अखिलेश यादव ने किया नमन।

समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने ट्वीट कर लिखा, पूर्व सांसद दिवंगत फूलन देवी जी की पुण्य स्मृति पर भावभीनी श्रद्धांजलि!

चन्द्रशेखर आजाद ने किया नमन।

भीम आर्मी चीफ और आजाद समाज पार्टी के अध्यक्ष चन्द्रशेखर आजाद ने लिखा,सम्मान के लिए अगर अपना सबकुछ दांव पर लगाना पड़े तो लगा दो। आत्मसम्मान के लिए विद्रोह की प्रतीक एवं महिलाओं की प्रेरणास्रोत वीरांगना फूलन देवी जी के शहादत दिवस पर उन्हें शत शत नमन।

ओेमप्रकाश राजभर ने किया याद   

सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओेमप्रकाश राजभर लिखते हैं, सामाजिक न्याय की योद्धा,अत्याचार व शोषण के खिलाफ़ संघर्ष की महान प्रतीक, वीरांगना फूलन देवी के शहीदी दिवस पर भावभीनी श्रद्धांजलि व शत् शत् नमन्।

आम आदमी पार्टी के कैबिनेट मंत्री राजेंद्र पाल गौतम ने बहुजन समाज की विरांगना के इतिहास को लोगों को समझते हुए लिखा, महिलाओं को अत्याचारों के खिलाफ लड़ने की प्रेरणा देने वाली पूर्व सांसद, वीरांगना #फूलन_देवी जी के शहादत_दिवस पर उन्हें शत शत नमन व भावभीनी श्रद्धांजलि।

मिशन अम्बेडकर के ट्विटर हैंडल से ट्वीट कर कहा गया कि, फूलन देवी ने 22 ठाकुर जाति के बलात्कारियों को लाइन में खड़ा किया और उन सभी को मार गिराया। ऐसी महान जाति-विरोधी नारीवादी प्रतिमूर्ति का आज शहादत दिवस है। उसे सलाम।

आज बहुजन विरांगना महान फूलन देवी का शहादत दिवस है। जुल्म के खिलाफ हथियार उठाने वाली वीरांगना को आज ही के दिन 25 जुलाई 2001 को शेर सिंह राणा नाम के जातिवादी हत्यारे ने फूलन देवी की गोली मारकर हत्या कर दी थी।

फूलन देवी के जीवन परिचय पर एक नजर

ज़रा फूलन देवी के जीवन पर भी एक सरसरी नज़र दौड़ा लीजिये। सभी जानते हैं कि मल्लाह जाति में 10 अगस्त 1963 को उत्तर-प्रदेश, जालौन जिला के पुरवा गाँव में जन्मीं फूलन बचपन से ही विद्रोही स्वभाव की रहीं। बचपन से ही वह घरेलू हिंसा की शिकार हुईं, माँ उन्हें और उनकी छोटी बहन को बहुत पीटा करती थीं

11 साल की उम्र में ही उनकी शादी पुत्ती लाल नाम व्यक्ति के साथ हुई, वह भी एक तरह से बलात्कारी ही निकला। शादी निपटी नहीं और वापस घर मायके आना पड़ा। बीस साल की होने तक उनके साथ कई बार छेड़खानी हुई। कभी ठाकुर जमींदारों द्वारा तो कभी पुलिस द्वारा। उनके साथ बलात्कार होते रहे, शोषण होता रहा। फूलन यह समझ चुकी थीं कि जिसके पास ताकत है उसी के पास न्याय भी।  ये सिलसिला चलता रहा कुछ दिनों बाद डकैतों के एक समूह ने उनका अपहरण कर लिया। (या वे स्वेच्छा से गईं इसे लेकर विवाद है)। उस समूह ने भी फूलन देवी का बलत्कार किया यह बलात्कार एक सन्देश था कि छोटी जाति के लोगों को अपनी चादर जितना ही पैर पसारना चाहिए। 

इस घटना ने फूलन को उस फूलन में तब्दील कर दिया जिसे आज मिथकीय दर्जा प्राप्त है। उन्होंने मुसलमान डकैतों के एक समूह को खड़ा किया। उन सभी ने फूलन को एक मर्दाना नाम ‘फूलन सिंह’ दिया, यह प्रतिज्ञा भी ली कि वे कभी उन्हें एक औरत की नज़र से नहीं देखेंगे। यही फूलन सिंह बाद में फूलन देवी और चम्बल की रानी कहलाई। फूलन के मन में मर्दों के लिए इतनी घृणा भर गई थी कि उन्होंने खुद को औरत मानने से इनकार कर दिया और जिस किसी ने भी उनके साथ बलात्कार किया था, उनसे बदले की आग ने उन्हें बेचैन कर दिया। वह ऊँची जाति के जमींदारों से लूटकर ग़रीबों में बाँट देतीं।

जिस गाँव में भी औरतों के साथ अत्याचार होता वह फूलन का नाम लेती और कहती कि फूलन इस अत्याचार का बदला लेगी, और फूलन ऐसा करती भी। 1981 में फूलन ने बेहमई के 22 ठाकुरों की हत्या को मानने से इनकार कर दिया। प्रधानमन्त्री इंदिरा गाँधी से बातचीत के बाद उन्होंने 1983 में मध्य-प्रदेश में आत्मसमर्पण कर दिया। 

सशस्त्र विद्रोह को छोड़कर कर 11 बरस उन्होंने जेल में बिताये और 1994 में जेल से रिहा हुईं। 1996 को समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा और विजयी हुईं। बाद में उन्होंने बौद्ध धर्म को ग्रहण कर लिया।  2001 के चुनाव से ठीक पहले उनके दिल्ली निवास के बाहर दो अज्ञात बंदूकधारियों ने उनकी हत्या कर दी।

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